कोरबा। मरीज की मौत के मामले में एसईसीएल मुख्य अस्पताल मुड़ापार कोरबा छग के सीएमओ डॉ. सीमा अरोरा, डॉ. अचिंत्य कुमार, डॉ. अपूर्व शर्मा, स्टाफ नर्स भारती गार्डिया, रश्मि तथा एसईसीएल प्रबंधन मुख्य अस्पताल मुड़ापार कोरबा के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का अपराध पंजीबद्ध किये जाने हेतु आवेदन पुलिस से किया गया है।
पीडि़त चुन्नी लाल राजवाड़े पिता मदनमोहन राजवाड़े निवासी-दुरपा रोड पुरानी बस्ती वार्ड 04 ने मानिकपुर चौकी प्रभारी को दिए शिकायत पत्र में बताया है कि माता श्रीमती गोदावरी बाई पति स्व. मदनमोहन राजवाडे उम्र लगभग 81 वर्ष, को 10 फरवरी 2024 को सुबह 9.30 से 10 बजे के लगभग एसईसीएल मुख्य अस्पताल मुडापार में सीने में कफ जमने के कारण सास लेने में कठिनाई होने से भर्ती किया गया था। अस्पताल में डॉ. अचित्य कुमार के द्वारा चिकित्सा प्रारंभ किया गया। डॉ. अचिंत्य कुमार से निवेदन किया कि तत्काल अपोलो अस्पताल रिफर कर दिया जावे, परंतु डॉक्टर के द्वारा रिफर करने से इंकार करते हुए एसईसीएल अस्पताल में ही चिकित्सा उपलब्ध कराने की बात कह कर कहा गया कि मैं आपकी माता जी को ठीक करके दौड़ाते हुए वापस घर भेजुंगा, जबकि डॉक्टर को पूर्व में भी मुडापार अस्पताल से अपोलो अस्पताल बिलासपुर रिफर किये जाने की जानकारी थी और वहाँ से चिकित्सा उपरांत वापस भी आई थी। डॉ. अचिंत्य कुमार के द्वारा सुबह 10.30 बजे सीने का एक्स-रे करते हुए बताया गया कि, फेफड़े में पानी भर गया है, जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ है। प्रारंभिक उपचार से स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन नहीं आने के कारण पुन: 12.30 बजे अपोलो रिफर करने का निवेदन किया जिसे अनसुना कर दिया गया। डॉ. अपूर्व शर्मा के द्वारा लगभग 2 बजे देखा गया तब उन्होंने भी रिफर करने से मना कर दिया तथा उपस्थित नर्स को कोई इंजेक्शन देने की बात कहकर चला गया। नर्स के द्वारा लापरवाही करते हुए दोपहर 3 बजे तक इंजेक्शन नहीं लगाया गया। चुन्नीलाल द्वारा इंजेक्शन नहीं लगाने की बात कहने पर कहा गया कि
यह हमारा नहीं नर्स का काम हैं, कुछ देर बाद स्टार्फ नर्स बर्थडे मनाकर आती होगी, वही इंजेक्शन लगायेगी। लगभग 3.30 बजे माता का स्वास्थ जब अत्यधिक खराब होने व श्वांस लेने में अत्यधिक तकलीफ होने पर अंचित्य कुमार तथा अपूर्व शर्मा के द्वारा सी.एम.ओ. से कुछ बातचीत कर शाम 4 बजे रेफरल दस्तावेज तैयार कर अपोलो रिफर किया गया। आनन फानन में अस्पताल के एम्बुलेंस कमांक-सी.जी. 04 एन.के. 9047 में नर्स के स्थान पर आया कुमुदिनी के साथ अपोलो भेज दिया गया। एम्बुलेंस में चालक संतोष महानदीया, आया कुमुदिनी, पुत्र चुन्नीलाल तथा परिजन फिरतीन बाई भी थे। एम्बुलेंस सर्वमंगला मंदिर पहुँचने तक मां की सांसे रूकने लगी तब ड्राईवर और आया कुमुदिनी ने बताया कि, एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलिन्डर खत्म हो गया है हम वापस एसईसीएल हॉस्पिटल मुड़ापार जाना होगा। चालक के द्वारा कहा गया कि अस्पताल प्रबंधक के द्वारा एम्बुलेंस में एक्सट्रा ऑक्सीजन सिलेण्डर रखवाया नहीं गया है। शाम 5 बजे ऑक्सीजन सिलेण्डर बदलकर अपोलो अस्पताल रवाना हुए। शाम करीबन 7 बजे मोपका बिलासपुर के पास जोरदार हिचकी आई और उनकी सांसें उखडऩे लगी। अपोलो अस्पताल बिलासपुर पहुँचने पर प्रारंभिक जाँच पश्चात् डॉक्टर ने बताया कि, मरीज अब नहीं रही, आप लोग लेट कर दिये।
पुत्र चुन्नीलाल ने आरोप लगाया कि डॉ. अचित्य कुमार एवं डॉक्टर अपूर्व शर्मा तथा उपस्थित नर्सों के द्वारा प्रारंभिक जाँच/चिकित्सा के पश्चात् यदि सुबह 10.30 बजे तत्काल अपोलो अस्पताल बिलासपुर रिफर कर दिया जाता तो संभवत: मां आज जीवित होती। उपरोक्त व्यक्तियों के द्वारा चिकित्सा उत्तरदायित्व एवं कर्तव्यों की घोर अवहेलना करते हुए तत्कालिक समय में उचित चिकित्सा के अभाव में यह जानते हुए भी कि, भर्ती मरीज का पूर्व में अपोलो अस्पताल बिलासपुर में ईलाज चला है, मरीज गंभीर स्थिति में है, फिर भी घोर लापरवाही करते हुए उचित चिकित्सा के अभाव में उचित समय पर रिफर नहीं किये जाने से माता की मृत्यु हो गई। इनका कृत्य गैर इरादतन अपराध की श्रेणी में आता है। स्टार्फ नर्स भारती गार्डिया व रश्मि दवाई को सिरिंज में भरकर टेबल पर रखकर अस्पताल में ही किसी का जन्म दिन मनाने में व्यस्त थी और डॉक्टर अचिंत्य कुमार, डॉक्टर अपूर्व शर्मा, सी.एम.ओ. सीमा अरोरा, एसईसीएल अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही एवं उचित समय में रेफलर ऑर्डर के अभाव में मृत्यु की पूर्ण संभावना जानते हुए भी उक्त अपराधिक कृत्य किया गया है, जो कि आपराधिक मानव वध की श्रेणी का गंभीर अपराध है।