अंबिकापुर : सरगुजा पुलिस द्वारा जारी अभियान ऑपरेशन विश्वास” के तहत पुलिस अधीक्षक कार्यालय स्थित सभाकक्ष मे नवीन क़ानून संहिता के सम्बन्ध मे प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर जिले के थाना/चौकी प्रभारियों सहित विवेचको कों नवीन क़ानून संहिता की बारीकियो से परिचय कराया गया, कार्यशाला का आयोजन का उद्देश्य विवेचको मे नवीन क़ानून संहिता की सभी धाराओं का प्रभावी ज्ञान सहित आमजनता कों उक्त क़ानून संहिता से त्वरित रूप से न्याय दिलाकर राहत प्रदान करना हैं, नवीन क़ानून संहिता मे पुलिस के दायित्यो कों बढ़ाया गया हैं, उक्त नवीन क़ानून संहिता दिनांक 01 जुलाई 2024 से पूरे देश मे प्रभावी हो जायगी, नवीन क़ानून संहिता आमनागरिकों कों पारदर्शी एवं त्वरित न्याय व्यवस्था प्रदान करने के साथ ही आपराधिक व्यक्तियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही कर पिड़ित कों न्याय दिलाने के उद्देश्य से देश मे प्रचलित पुराने कानूनों की जगह तीन नये क़ानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता देश भर मे लागू किया जाना प्रस्तावित हैं,
पुलिस अधीक्षक सरगुजा ने नये क़ानून के सम्बन्ध मे बताते हुए कहा कि भारत में लागू फौजदारी कानून भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारत सरकार द्वारा एक नया कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 पारित किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 20 अध्याय एवं 358 धाराये है, जबकि इसके पूर्व भा.द.वि. 1860 में कुल 23 अध्याय एवं 511 धाराये थी, नये क़ानून मे विवेचको की जिम्मेदारिया तय की गई हैं, तय समय मे अपराधों का निराकरण सहित आमजनों कों त्वरित न्याय उपलब्ध कराना नये क़ानून का प्रमुख उद्देश्य हैं।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की मुख्य विशेषतायें-
भारतीय न्याय संहिता 2023 के द्वारा राजद्रोह को निरसित कर दिया गया है, बालक (चाईल्ड) को परिभाषित किया गया है, उभयलिंगी (Transgender) का प्रावधान किया गया है, मॉबलिंचिंग के अपराध को दण्डनीय बनाया गया है, आतंकवादी कृत्य को परिभाषित एवं दण्डित बनाया गया है, हिट एण्ड रन केस के प्रावधान में बदलाव किया गया है, उपेक्षा द्वारा मृत्यु वाले मामलो में चिकित्सकों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है, झपटमारी (स्नेचिंग) को परिभाषित एवं दण्डित बनाया गया है,
भारत में होने वाले अपराधों के लिए भारत से बाहर किये गये दुष्प्रेरण को दण्डनीय बनाया गया है, दस्तावेज की परिभाषा में इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल रिकार्ड को शामिल किया गया हैं, महिला और बालक के विरूद्ध अपराधों से सम्बन्धित एक नया अध्याय जोड़ा गया है प्रवंचनापूर्ण साधनो या विवाह का वचन देकर उसे पूरा किये बिना मैथुन किये जाने का अपराध जो बलात्संग की श्रेणी में न आता हो, को दण्डनीय बनाया गया है, दण्ड के रूप में सामुदायिक सेवा का भी प्रावधान किया गया है, जारकर्म (Adultery) के अपराध को समाप्त कर दिया गया है, चोरी की विषय वस्तु अब मूर्त एवं अमूर्त दोनो प्रकार की चल सम्पत्तियों हो सकती है, मत व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में अवचार के लिए भा.द.वि.धारा 510 के तहत जो न्यूनतम जुर्माने की सजा 10 रू० थी उसे बी.एन.एस. की धारा 355 के तहत बढ़ाकर 1000/- रू० कर दिया गया है।कार्यशाला के दौरान समस्त थाना/चौकी प्रभारी सहित विभिन्न थाना चौकियो मे पदस्थ विवेचक उपस्थित रहे।