बलरामपुर: यूनिसेफ छत्तीसगढ, राज्य सरकार, और विभिन्न समुदाय के पालकों ने संगुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित पहले अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस का गरिमामय आहोजान किया। यह वैश्विक अभियान बच्चों के समग्र विकास में खेल के महत्व को रेखांकित करता है।
छाया कुवर, यूनिसेफ छत्तीसगढ़ की शिक्षा विशेषज्ञ ने इस संदर्भ में अपनी राय प्रकट करते हुए कहा कि, “खेल हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। यह न कवक उनके संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक, और भावनात्मक कल्याण में योगदान देता वल्कि उनके बौद्धिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षेत्रों में सीखने के अवसर देता है – खेल के माध्यम से, बच्चे दूसरों से संबंध बनाते हैं, नेतृत्व कौशल विकसित करते हैं, चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने भय को पराजित करते हैं।”
यूनिसेफ छत्तीसगढ़ ने इस विशेष दिन को मनाने के लिए राज्य के चयनित जिलों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया । खेल के महत्व को बढ़ावा देते हुए स्वयंसेवक और माता-पिता, बच्चों को न केवल पारंपरिक बल्कि अन्य खेलों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। स्कूल, ऐ डब्लू सी, और सार्वजनिक स्थानों पर हंसी और आनंद का केंद्र बनाया जाएगा, जहां बच्चे विभिन्न स्थानीय खेलों और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेंगे।
अभिषेक सिंह, सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन विशेषज्ञ, यूनिसेफ छत्तीसगढ़ ने इस आयोजन की आवश्यकता और भविष्य में बच्चों के जीवन पर इसके सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि, “खेल बच्चों के जीवन में सृजनात्मकता, नवाचार, और नेतृत्व को बढ़ावा देता है। जब बच्चे खेलते हैं, तो वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हैं। इन उद्देश्यों के साथ, चलिए 11 जून को अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस का जश्न मनाते हैं, हमारे स्कूलों, घरों, और पड़ोस में बच्चों के साथ खेल की गतिविधि में शामिल होकर, उनके शारीरिक और मानसिक विकास में अपनी सफल भूमिका निभाएं,”
महिला और बाल विकास विभाग के सहयोग से यूनिसेफ अंगनवाड़ी केंद्रों में “परवरिश के चैंपियन (पालन पोषण चैंपियन) कार्यक्रम के तहत खेल के महत्व पर सत्र आयोजित कर रहा है।संज्ञा टंडन, आरपा सामुदायिक रेडियो, बिलासपुर ने इस विषय पर बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी सामुदायिक रेडियो स्टेशन आज इस सकारात्मक अभियान का हिस्सा हैं और समुदाय के साथ माता-पिता की भूमिका और खेल के महत्व पर संवाद कर रहे हैं।