अम्बिकेश गुप्ता
कुसमी। सरकार कामकाज को पारदर्शी बनाने के कितने भी आदेश अधिकारियों को जारी करे लेकिन अधिकारियों की सेहत पर ऐसे आदेशों का कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आमजनों को मौलिक अधिकार दी हुई हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इस अधिनियम के प्रति अधिकारी कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा कुसमी जनपद पंचायत से लगाया जा सकता हैं।
सूचना का अधिकार आवेदन प्रस्तुत करने वाले कई आवेदकों ने बताया की वर्ष 2023-24 में बलरामपुर जिला अंतर्गत जनपद पंचायत कुसमी में कई सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब लंबित हैं. तथा यहां के जन सुचना अधिकारी को सुचना का अधिकार कानून के नियमों कि धज्जिया उडाने में कोई फर्क नहीं पड़ता. इसके पीछे कि वजह हैं कि बड़े स्तर पर दखल रखने वाले जनप्रतिनिधि अभिरक्षा दे रहे हैं।
कई महीनो पूर्व से जनपद पंचायत कुसमी के जनसूचना अधिकारी से मांगी गई सूचना का जवाब कई आवेदको को उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. जिस कारण आवेदको में रोष व्याप्त है. समय पर जानकारी न देकर जनपद पंचायत कुसमी के जनसूचना अधिकार पद पर आशिन अधिकारी द्वारा अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। तथा जिस मामलें में जानकारी मांगी जाती हैं. मामलें से जुड़े गैर शासकीय बिचौलियों कों इस बात की जानकारी उक्त विभाग द्वारा देकर किसी तरह मामलें कों दबाने रणनीति तैयार की जाती हैं। कई आवेदक ने बताया कि उन्होने बीते महीने जनपद पंचायत कुसमी में आवेदन प्रस्तुत कर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत निर्माण कार्यों से सम्बंधित जानकारी मांगी थीं. जिसकी समयावधि बीतने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। आरोप हैं कि भ्रष्टाचार के चलते अधिकारी सूचना का अधिकार के तहत मांगी जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
जागरूक व्यक्ति भी आसानी से नहीं प्राप्त कर पा रहा जानकारी
आरटीआई कानून अधिकारियों की लापरवाही के चलते पंगू बनकर रह गया है. आरटीआई आवेदन कर्ता कितना भी जागरूक हों. वह जनपद पंचायत कुसमी से आरटीआई के तहत आसानी से जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता. कुसमी जनपद पंचायत से मांगी गई जानकारी का जवाब उपलब्ध न कराना बड़ा गंभीर विषय बन गया है. इस तरह के न जाने कितने आवेदन उक्त कार्यालय में धूल फांक रहे है।उच्चाधिकारियों को इस ओर ध्यानाकर्षित कराते हुवें आरटीआई आवेदको ने अपील कि है कि मागी गई जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराई जाए व लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाए. जिससे सुचना का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण क़ानून कि धज्जिया न उड़े और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।