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बलरामपुर: 1 जुलाई 2024 को देश मे तीन नए कानून लागू हो रहे हैं। इस संबंध में रामानुजगंज स्थित पंडित दीनदयाल मांगलिक भवन परिसर में तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु इनके लागू किए जाने के पूर्व पुलिस विभाग के द्वारा जनप्रतिनिधिगण व अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया।ब्रिटिश काल में बनाए गए भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह इन तीनों नए प्रावधानों को लाया गया है।

आयोजित प्रशिक्षण में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को लागू किया गया है। जिसे 20 दिसंबर 2023 को लोकसभा द्वारा एवं 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया एवं 25 दिसंबर 2023 को माननीय राष्ट्रपति जी की अनुमति प्राप्त हुई जिसके पश्चात् भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया। सीआरपीसी में पहले 484 धारायें थी इसकी जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में 531 धारायें होंगी, इसमें 177 धाराओं में बदलाव किया गया है, 09 नयी धारायें जोड़ी गई है 39 नये सबसेक्शन जोड़े गये है, 44 नये प्रोवीजन और स्पष्टीकरण जोड़े गये है, 35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है और 14 धाराओं को निरस्त कर हटाया गया है।उन्होंने बताया की प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर अपराधिक मामलों में तलाशी एवं जप्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीडि़त पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। उन्होंने जीरो- एफआईआर के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पहले प्रार्थी को संबंधित थाने में ही एफआईआर दर्ज करनी होती थी, लेकिन अब जीरो एफआईआर अंतर्गत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है और किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया गया कि नयी भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के अनुसार विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के विरोध में होने वाले अपराधों को कम करने के लिए कई नियम बनाए गए है। महिला अपराधी की विवेचना महिला पुलिसकर्मी द्वारा की जाएगी।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी  रिमिजियुस एक्का ने बताया की नवीन आपराधिक कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में जिले के सभी अनुविभागों के थाना क्षेत्र में उस क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी, तहसील स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया है ।साथ ही कानून के संबंध में तिथिवार चिन्हित स्थान के साथ-साथ, शिक्षण संस्थानों, हाट-बाजारों या अन्य महत्वपूर्ण स्थान जहाँ पर लोगों को अधिक से अधिक नवीन कानून की जानकारी दिया जा सकता है, ऐसे स्थानों में कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता/प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट  पंकज अलोक तिर्की,प्रथम अपर सत्र न्यायधीश डॉ मनोज कुमार प्रजापति, द्वितीय अपर सत्र न्यायधीश श्रीकांत श्रीवास,न्यायिक मजिस्ट्रेट  शास्वत दुबे, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण  लोकेश कुमार, जिला अधिवक्ता अध्यक्ष  अनुप तिवारी सहित पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी अन्य संबंधित विभागों के विभागीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि व महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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