बलरामपुर: प्रदेश में सत्र 2024-25 से समस्त महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक स्तर पर बी.ए/बी. कॉम./बी.एससी. के पाठ्यक्रम सेमेस्टर पद्धति लागू किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के संबंध में शासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्राचार्य श्री एन.के. देवांगन की अध्यक्षता में किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मास्टर ट्रेनर डॉ. वैभव कुमार ने शिक्षकों को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति तीन/चार वर्षीय बहु-संकायी स्नातक पाठ्îक्रम क्रेडिट पर आधारित होने के साथ 03 या 04 वर्षीय बहु-संकायी स्नातक पाठ्îक्रम समस्त पाठ्îक्रम क्रेडिट पर आधारित होने के साथ ही चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के अंतर्गत होंगे। 03 या 04 वर्षीय स्नातक पाठ्îक्रम को विद्यार्थी अधिकतम 07 वर्षों में पूर्ण कर सकता है। पाठ्îक्रम अवधि में विद्यार्थी ’’बहु-निकास’’ प्रावधान के अंतर्गत प्रथम वर्ष पूर्ण कर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे उस संकाय के अंतर्गत ’सर्टिफिकेट’ दो वर्ष पूर्ण कर छोड़ने पर ’डिप्लोमा’ की उपाधि दी जाएगी एवं तृतीय वर्ष पूर्ण करने पर स्नातक की उपाधि प्राप्त कर पाठ्îक्रम को छोड सकता है। जिन विद्यार्थियों को विषय विशेष में विशेषज्ञता प्राप्त करने या शोध करने की इच्छा हो वे पाठ्यक्रम को निरंतर चौथे वर्ष में जारी रख सकते हैं एवं ’ऑनर्स/ऑनर्स विथ रिसर्च’ की उपाधि चौथे वर्ष में प्राप्त कर सकते हैं। इसी नीति के अंतर्गत बहु-विषयक शिक्षा, वैचारिक समझ एवं आलोचनात्मक सोच, नैनिक मूल्यों के साथ कौशल विकास को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया। सतत आंतरिक मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक एवं अंत सेमेस्टर परीक्षा में 70 प्रतिशत अंको का प्रावधान रखा गया है। विद्यार्थी को उत्तीर्ण होने हेतु इन दोनों को मिलाकर (आंतरिक एवं अंत सेमेस्टर परीक्षा) कुल 40 प्रशित प्राप्त करना अनिवार्य होगा। जेनेरिक एलेक्टिव के अंतर्गत कला/विज्ञान/वाणिज्य संकाय का विद्यार्थी अपने संकाय के अतिरिक्त अन्य संकाय के किसी एक विषय को अपनी इच्छानुसार ले सकता है। विद्यार्थी शिक्षा के ऑनलाईन प्लेटफार्म में उपलब्ध पाठ्यक्रमों से भी विषय से संबंधित पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकता है। स्वाध्यायी छात्रों का समयबद्ध नामांकन और सतत् मूल्यांकन द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में मास्टर ट्रेनर एन.के. सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इकाइयों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का भाव लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विषय संबंधित ज्ञान के साथ कौशल विकास, मूल्यपरक तथा रोजगारोन्मुखी की ओर उन्मुख करती है। इस नीति में सतत् मूल्यांकन का प्रावधान है जिससे विद्यार्थियों के मानसिक ऊर्जा के साथ बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होगी। सेमेस्टर आधारित पाठ्यक्रम होने के कारण विद्यार्थियों को परीक्षा का तनाव नहीं होगा। बहु-विषयक प्रणाली पर आधारित यह नीति विद्यार्थियों को उनकी इच्छानुसार दूसरे संकाय के विषयों का अध्ययन करने की स्वतंत्रता देती है। पठ्चार्या में भारतीय ज्ञान पद्धति के समावेश के साथ स्नातकोत्तर गतिविधियों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। प्रौद्योगिकी के अनुकूलतम उपयोग पर बल दिया गया है।
कार्यशाला के समापन अवसर पर प्राचार्य एन.के. देवांगन राष्ट्रीय शिक्षा नीति से लाभ विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास, मूल्य परक, कौशल विकास, क्षमता संवर्धन के साथ जेनेरिक इलेक्टिव विषय के अध्ययन से स्वरोजगार के अवसर में वृद्धि। विद्यार्थियों में आलोचनात्मक सोच, डिजिटल साक्षरता के साथ रोजगार क्षमता एवं शारीरिक विकास को बढ़ावा देते हुए भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है। पूरे प्रदेश में समरूप शिक्षा होने से वनांचल एवं दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ना है।
कार्यशाला में शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बलरामपुर, नवीन शासकीय महाविद्यालय रनहत प्राध्यापक डॉ. अर्चना गुप्ता, ओम शरण शर्मा, योगेश कुमार राठौर, डॉ. अश्वनी विश्वकर्मा, अगस्टिन कुजूर, ब्लासियुस एक्का, अमरदीप एक्का, वैभव कुमार, विवेक सिंह आयम एवं सभी कर्मचारी शामिल रहे।