नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना उसके पास विचाराधीन नहीं है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने यह जानकारी दी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना बना रही है, इसके जवाब में तेली ने कहा, ‘‘ऐसी कोई योजना सरकार के विचाराधीन नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि भाड़ा दर, वैट और स्थानीय उगाही आदि जैसे अनेक घटकों के कारण पेट्रोल और डीजल के मूल्य अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग होते हैं। पेट्रोल, डीजल और गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में तेली ने कहा कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 9(2) के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने के लिए जीएसटी परिषद की सिफारिश अपेक्षित होगी। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को जीएसटी में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है।’’
दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया कि देश में करीब 44 करोड़ जनधन बैंक खाता धारकों में से 55 प्रतिशत से अधिक महिला खाताधारक हैं वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 17 नवंबर की स्थिति के अनुसार देश में 43.90 करोड़ लोग प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाता धारक हैं।
इसके अलावा सरकार ने बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के उच्च आवृत्ति संकेतक में से 19 पूरी तरह से पूर्व के स्तर पर आ चुके हैं। इस साल सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में इन संकेतकों का स्तर 2019 के इन्हीं महीनों की तुलना में अधिक रहा। कुल 19 संकेतकों में 100 प्रतिशत से ज्यादा सुधार है। इनमें ई-वे बिल, वस्तु निर्यात, कोयला उत्पादन और रेल माल ढुलाई यातायात शामिल हैं। यह बताता है कि न केवल पुनरुद्धार पूरा हुआ है बल्कि आर्थिक वृद्धि अब कोविड-पूर्व स्तर से तेज हो रही है।