फिजियोथेरेपी व स्पीच थेरेपी से 676 दिव्यांग बच्चे जीवन की चुनौतियों से लड़ने हो रहे तैयार
रायपुर: शिक्षा का समावेशीकरण यह सुनिश्चित करता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक दिव्यांग को समान शिक्षा प्राप्ति के अवसर मिले। समावेशी शिक्षा के द्वारा सामान्य विद्यालय में सामान्य बालकों के साथ विशिष्ट बालकों को कुछ अधिक सहायता प्रदान करने की कोशिश की जाती है। इसी उद्देश्य को आगे बढ़ते हुए राजीव गांधी शिक्षा मिशन, रायगढ़ समग्र शिक्षा के तहत 9 विकासखण्डों में फिजियोथेरेपी और स्पीचथेरेपी देकर दिव्यांग बच्चों को जीवन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। इससे उनके मन में नया आत्मविश्वास जागा है और बच्चे शिक्षा के नए आयामों को सीखने के काबिल बन रहे हैं।
शारीरिक मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को सामान्य जीवन निर्वहन के साथ शिक्षा प्राप्त करने में कदम-कदम पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन बच्चों को स्वावलंबी जीवन जीने की ओर अग्रसर करना जरूरी है, जिससे समाज में वे घुल-मिल कर सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें। इसी सोच के साथ राज्य सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों को समावेशी गुणात्मक शिक्षा के माध्यम से समान शिक्षा का अवसर और सकारात्मक प्रभावशाली वातावरण देने की कोशिश की जा रही है।
दिव्यांग बच्चों के लिए थेरेपी की दुरुस्त व्यवस्था
समावेशी शिक्षा अंतर्गत जिला स्तर पर एक फिजियो व एक स्पीच थैरेपिस्ट नियुक्त किए गए हैं। दोनों थेरेपिस्ट सभी 09 विकासखंडों में रोटेशन के आधार पर भ्रमण करते हैं। वहीं विकासखंड मुख्यालय के अधिकारी-कर्मचारी थेरेपी के लिए चिन्हित दिव्यांग बच्चों को एकत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
डॉ.खुशबू साहू (अस्थि रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि अब तक कुल 312 दिव्यांग बच्चे फिजियोथेरेपी से लाभान्वित हुए हैं। वहीं स्पीच थैरेपिस्ट प्रतिभा गवेल (वाणी एवं भाषा रोग विशेषज्ञ) का कहना है कि स्पीचथैरेपी से कुल 364 दिव्यांग बच्चे ऐसे बच्चे लाभान्वित हुए है। उन्होंने बताया कि ऐसे दिव्यांग बच्चे जो सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज़्म,कंजेटियल डिफॉरमेटी जैसे कंजेटियल डिसलैक्सेशन ऑफ हिप, क्लब फुट, इक्वीनस फुट, स्पाइन डिफॉरमेटिस जैसे स्कोलियोसिस कायफॉसिस, मस्कुलर डायस्ट्रोफाइस, मेंटल रिटारडेशन विद लोको मोटर डिसेबिलिटी मल्टीपल डिसेबिलिटिस, श्रवण पाटीदार, मानसिक मंदता, मानसिक पक्षाघात, अपने उम्र से कम बोलने वाले, तुतलाने वाले, हकलाने वाले जैसी विभिन्न व्याधियों एवं दिव्यांगता से ग्रसित थे, उन्हें फिजियोथेरेपी व स्पीचथेरेपी ने एक नया जीवन और आत्मविश्वास मिल रहा है।
पालकों की भी होती है काउंसिल
दिव्यांग बच्चों की थेरेपी के दौरान उनके पालकों की भी काउंसलिंग कर उन्हें बच्चे की स्थिति, सुधार और प्रगति के विषय में समझाया जाता है। बच्चों के लिए पोषण एवं उनकी हाइजीन, डेली होम एक्सरसाइज सहित जरूरी दिशानिर्देश दिये जाते हैं। श्रवण बाधित बच्चों को श्रवण यंत्र प्रदान कर पालकों को उपयोग का तरीका विस्तार से बताया जाता है। इससे दिव्यांग बच्चों की स्थिति में काफी सुधार आ रहा है।
जिला स्तर पर सतत मॉनिटरिंग
थेरेपी के दौरान फीडबैक व निरीक्षण के लिए जिला स्तर के अधिकारी सतत् भ्रमण करते हैं। अधिकारी दिव्यांग बच्चों और पालकों से फीडबैक प्राप्त कर उन्हें दिव्यांग बच्चों की देखभाल व घर पर भी थेरेपी के लिए सतत प्रोत्साहित कर रहे हैं।