कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से हुए दुष्कर्म और हत्या मामले को लेकर पूरे देश में डॉक्टर्स का विरोध-प्रदर्शन रविवार को भी जारी है। प्रदर्शन देश के अलग-अलग राज्यों में चल रहे हैं। डॉक्टर्स अपनी सहकर्मी के लिए लल्द से जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं।
महिला डॉक्टरों का कहना है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना ने इस बात को पुख्ता कर दिया है कि साल 2012 में दिल्ली में चलती बस में छात्रा (निर्भया) के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद कड़े कानूनों के बावजूद भारत में महिलाएं असुरक्षित हैं।
लाखों बेटे और बेटियां अब मेरे साथ- पीड़िता के पिता
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पीड़िता के पिता ने कहा, “मेरी बेटी चली गई, लेकिन लाखों बेटे और बेटियां अब मेरे साथ हैं। इससे मुझे बहुत ताकत मिली है और मुझे लगता है कि हम इससे कुछ हासिल करेंगे।
डॉक्टरों की 24 घंटे की हड़ताल समाप्त
रविवार को सुबह 6 बजे डॉक्टरों की 24 घंटे की हड़ताल समाप्त हुई। आईएए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि भारत में 60 फीसदी डॉक्टर महिलाएं हैं, इसलिए उन्हें वह सुनिश्चित करें कि अस्पताल के कर्मचारियों को हवाई अड्डों जैसे सुरक्षा प्रोटोकॉल से संरक्षित किया जाए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, “सभी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर कार्यस्थल पर शांतिपूर्ण माहौल, सुरक्षा और संरक्षा के हकदार हैं।” ऊधर पीएम के गृह राज्य गुजरात में, सरकारी अस्पतालों में 6,000 से अधिक ट्रेनी डॉक्टर रविवार को तीसरे दिन भी ओपीडी सेवाओं से दूर रहे। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में सेवाएं फिर से शुरू हो गईं।
वहीं, सरकार ने डॉक्टरों से डेंगू और मलेरिया के बढ़ते मामलों के इलाज के लिए काम पर लौटने का आग्रह किया है, जबकि स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा में सुधार के उपाय सुझाने के लिए एक समिति गठित की है।
बंद हो सकती हैं आपातकालीन सेवाएं
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में आईएमए के प्रमुख डॉ. मदन मोहन पालीवाल ने कहा, “डॉक्टर अपनी दिनचर्या पर वापस आ गए हैं। अगर सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाती है, तो अगला कदम तय किया जाएगा और इस बार हम आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर सकते हैं।”
भुवनेश्वर में काम पर नहीं लौटे डॉक्टर
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में एम्स के डॉ. प्रभास रंजन त्रिपाठी ने कहा कि अबक जूनियर डॉक्टर और इंटर्न ने काम पर वापस नहीं लौटे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी प्रदर्शन हो रहे हैं। दूसर डॉक्टरों पर बहुत दबाव है क्योंकि जनशक्ति कम हो गई है।