गरियाबंद: गरियाबंद जिले के लोगों पर हाथी आतंक का ऐसा असर है कि त्योहारी समय में भी वे अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट घेराव करने पहुंच गए। मैनपुर विकासखंड के छिंदौला, जिडार, जाडापदर और घिरौला गांवों से सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और धरना प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया कि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए, अन्यथा वे उग्र आंदोलन करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि 40 हाथियों का एक दल (सिकासेर दल) उनके क्षेत्र में लगातार आतंक मचा रहा है। इस कारण उनका जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। न तो वे दिन में खेतों में जा पा रहे हैं और न ही रात में घरों में सुरक्षित रह पा रहे हैं। भय इतना बढ़ गया है कि लोग परिवार सहित पानी टंकी या पड़ोसियों के पक्के मकानों की छत पर रात बिताने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि हाथियों ने उनके सैकड़ों एकड़ में फैली फसल को नष्ट कर दिया है, लेकिन उन्हें इसका मुआवजा नहीं मिला है। कुछ मुआवजे की जो राशि दी जा रही है, वह केवल 9 हजार रुपये प्रति एकड़ है, जबकि वे 75 हजार रुपये प्रति एकड़ की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, हाथियों के हमले में मारे गए लोगों के परिवारों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की जा रही है।
इस आंदोलन में शामिल होने के लिए ग्रामीणों ने आपस में चंदा एकत्रित किया और हर घर से योगदान देकर आंदोलन का खर्च उठाया। पुलिस और प्रशासन की तरफ से शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश देने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने अल्टीमेटम देकर चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।