जगदलपुर: बस्तर के प्रसिद्ध दलपत सागर में प्रवासी पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो गया है। रेड नेप्ड आइबिस, जिसे इंडियन ब्लैक आइबिस के नाम से भी जाना जाता है, यहां पहुंच चुका है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सर्दियों के आगमन के साथ ही विदेशी पक्षियों का यहां आना शुरू हो गया है।

पीटीआई ने इस अवसर पर स्थानीय फोटोग्राफर संतोष पांडे से बातचीत की, जिन्होंने इन पक्षियों को अपने कैमरे में कैद किया। संतोष हर साल यहां आने वाले देश-विदेश के पक्षियों की तस्वीरें खींचते हैं और विशेषज्ञों से उनके बारे में जानकारी लेकर इसे आम जनता तक पहुंचाते हैं। उनका कहना है कि आमतौर पर लोग दलपत सागर के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं, लेकिन वे इन प्रवासी पक्षियों की अनदेखी कर देते हैं।

रेड नेप्ड आइबिस का संपूर्ण शरीर गहरे रंग का होता है, जिसके कंधों पर सफेद धब्बा और सिर व गर्दन के पीछे लाल रंग होता है। यह पक्षी भारत के जल समूह और आर्द्रभूमियों में पाया जाता है और बड़े पेड़ों पर अपना घोंसला बनाता है। भारत में इनकी संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, जिससे इसके संरक्षण की आवश्यकता बढ़ गई है।

बस्तर, जो भारत में वेटलैंड्स के लिए प्रसिद्ध है, हर साल ठंड के मौसम में लगभग 30 से 35 प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है, जिनमें फिसेनटील जकाना, मोरुन और स्वैम्फैन जैसे पक्षी शामिल हैं। दलपत सागर के अलावा बीजापुर का इंद्रावती टाइगर रिजर्व (आईटीआर) भी इन पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना है।

जानकारों का मानना है कि विदेशी पक्षियों का हर साल दलपत सागर में आगमन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। प्रजनन और रहवास के लिए उनका यहां आगमन पर्यावरणीय संतुलन के साथ बस्तर की विशेष पहचान भी बनाता है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इनके लिए सुरक्षित और विस्तारित पर्यावास तैयार करने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में बस्तर इन मेहमानों के आकर्षण का केंद्र बना रहे।

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