सूरजपुर। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के महज कुछ 6 किलोमीटर मुख्य सड़क मार्ग ग्राम सरहरी के गोरहाडांड़ इलाके के जंगल में एक नर हाथी का शव मिला है। शव सड़ी-गली अवस्था में पाया गया, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हाथी की मौत कई दिन पहले हो चुकी थी। हाथी के साढ़े गली लाश मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है वही वन विभाग के रेंजर सहित कर्मचारियों की भूमिका वह का रसौली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।शव सड़ने के कारण मौत का स्पष्ट कारण अज्ञात है।सबसे बड़ी बात यह है कि इतने बड़े हाथी और वन विभाग के द्वारा होने वाली मॉनिटरिंग के ऊपर में सवाल खड़े होने लगे हैं।

ग्रामीणों ने सबसे पहले जंगल के बीच सड़े हुए शव को देखा और इसकी सूचना वन विभाग को दी। शव की दुर्गंध और उसकी हालत को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि हाथी की मौत लंबे समय पहले हो चुकी थी। शव के जंगल के अंदर होने पर ग्रामीण लकड़ी काटने गए तब मौके की भनक लगी।वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शव की स्थिति को देखते हुए मौत के सटीक कारणों का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, प्रारंभिक तौर पर विभाग ने प्राकृतिक मौत या शिकार के पहलुओं की जांच शुरू कर दी है।

हाथियों का यह क्षेत्र में बढ़ता संकट

प्रतापपुर क्षेत्र में हाथियों का विचरण अक्सर देखा जाता है। इस इलाके में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे वन्यजीव संरक्षण को लेकर चिंता जताई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यह हाथी कुछ दिनों से क्षेत्र में नहीं देखा गया था, और इसके गायब होने की खबर वन विभाग तक पहुंचाई गई थी।

वन विभाग की टीम मौके पर

शव मिलने की सूचना के बाद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचने लगे हैं। विभाग के अनुसार, पोस्टमॉर्टम के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।
वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा, “हम मामले की गहराई से जांच करेंगे और मौत का कारण पता लगाने की कोशिश करेंगे। अगर किसी तरह की अप्राकृतिक गतिविधि जैसे शिकार या जहर दिए जाने की पुष्टि होती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

ग्रामीणों में चिंता का माहौल

हाथी की मौत के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में भी चिंता का माहौल है। यह नर हाथी अक्सर आसपास के जंगलों में देखा जाता था और क्षेत्र के पर्यावरण का हिस्सा था। ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।

आगे की कार्रवाई

वन विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वन्यजीव विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम बुलाई है। पोस्टमॉर्टम और विस्तृत जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। वन विभाग ने इस मामले को लेकर आसपास के इलाकों में गश्त बढ़ाने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।

इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण और हाथियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और विभाग इस दिशा में क्या कदम उठाता है।वही वन विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ का पाने से बच रहे हैं। एक के बाद एक हाथियों की मौत वन जीवो पर खतरा मंडरा रहा है। वही सवाल खड़े होने लगे हैं कि मीना से मृत्यु इस हाथी का वन विभाग को भनक तक नहीं लगी जबकि इस हाथी को क्षेत्र में कई बार देखा गया था इसके बावजूद भी वन विभाग के अधिकारी सही मॉनेटरी नहीं करने का वजह से वन जीव पर खतरा मंडरा रहा है।

वन विभाग के रेंजर व अधिकारी प्रतापपुर कार्यालय बहुत कम आते हैं तथा अंबिकापुर से ही अपना कार्यालय संचालित करते हैं ना इनको आम ग्रामीणों की चिंता है ना इनको जनता का चिंता है क्षेत्र में हो रहे एक के बाद एक हाथियों के मौत सेवन विभाग के पोल खोलते हुए उनकी निष्क्रियता को प्रदर्शित किया है। इस तरह के लगातार मामला होने से वन्य जीव पर खतरा मंडरा रहा है। और पर्यावरण प्रेमी सहित हाथी प्रेमियों में इस मामले को लेकर भारी आक्रोश फैला हुआ है।

फिलहाल इस मामले में वन विभाग कुछ बोल पाने में असमर्थ है तथा प्रतापपुर के अधिकारी कर्मचारियों ने अपना मोबाइल बंद कर दिया है और जंगल के अंदर किसी को घुसने नहीं दिया जा रहा है ताकि इन लोगों का पर्दाफाशना न हो जाए।

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