रायपुर: आधुनिक जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या व खानपान के कारण एक बड़ी आबादी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों से जूझ रहा है। आश्चर्यजनक तौर पर अब यह रोग किशोरों और युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जीवनशैली से जुड़े इन रोगों के लिए मुख्यतौर पर अनुवांशिक और खानपान से जुड़ी आदतें व अनियमित दिनचर्या जिम्मेदार हैं। आमतौर पर लोगों में वसा युक्त भोजन, फास्ट फूड, मांसाहार, शराब और धूम्रपान का सेवन बढ़ रहा है, जिसके शौकीन ज्यादातर किशोर और युवा भी हैं। इसके अलावा फसलों में कीटनाशकों का अधिकाधिक उपयोग, प्रदूषण और शारीरिक श्रम या व्यायाम का आभाव, मोटापा भी इन रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ा रहा है।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि जीवनशैली से जुड़े रोगों से बचाव संयमित दिनचर्या और संतुलित खानपान से ही हो सकता है। आज की पीढ़ी खानपान और दिनचर्या के प्रति लगातार लापरवाही बरत रहे हैं फलस्वरूप कम उम्र में ही लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं। युवाओं में इन बीमारियों का प्रमुख कारण मोटापा भी है जो जंक फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स, शराब और मांसाहार के कारण बढ़ रहा है। किशोर और युवा लगातार इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के गिरफ्त में रहते हैं फलस्वरूप वे रात में देर तक जगते हैं, जिसका प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
शोध से यह पता चला है कि मानसिक स्वास्थ्य का असर सीधे तौर पर इन जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में होता है। इन रोगों के उपचार के लिए आजीवन दवाईयां और चिकित्सक के परामर्श में रहने तथा नियंत्रित खानपान और संयमित दिनचर्या अपनाने की जरूरत होती है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों के मरीज बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाईयां बंद कर देते हैं, फलस्वरूप उन्हें आपात स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह लापरवाही जानलेवा साबित होती है। लोगों को यह जागरूक होने की जरूरत है कि उपरोक्त बीमारियां जड़ से खत्म नहीं होती, बल्कि दवाओं, संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम व योग के द्वारा नियंत्रित होती है अतएव सावधानी बरतें।
डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि चूंकि ये बीमारियां मनो-दैहिक यानि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हैं, इसलिए इन रोगों के बचाव में आयुर्वेद और योग कारगर हैं। इस पद्धति में विभिन्न ऋतुओं के लिए खानपान और दिनचर्या निर्धारित है, जिसको अपनाने तथा पंचकर्म, रसायन चिकित्सा, आचार रसायन, नियमित व्यायाम, योग व ध्यान के द्वारा जीवनशैली गत रोगों से बचाव संभव है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के बचाव के लिए शाकाहारी भोजन जिसमें मिश्रित अनाज की रोटी, अरहर या मूंग की दाल, कोदो या ब्राउन चावल, करेला, सहजन यानि मुनगा, तरोई, हरी तरकारी, करी पत्ते, अदरक, मेथी, लहसुन, गुणमार, जामुन, आंवला इत्यादि का सेवन करना चाहिए तथा वसायुक्त खाद्य पदार्थ, जंकफूड, कोल्डड्रिंक्स, मांसाहार, मद्मपान और धूम्रपान का परहेज आवश्यक है। इसके अलावा शक्कर और नमक का संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इन रोगों के बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक प्रकार के रसायन और औषधियां भी उपलब्ध है जिसका प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन एवं परामर्श में किया जाना चाहिए।