अंबिकापुर: राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अम्बिकापुर के विभाग द्वारा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि शमशेरबहादुर सिंह को याद करते हुए विचार गोष्ठी व काव्य-पाठ का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में शहर के वरिष्ठ कवि व चित्रकार ‘महेश वर्मा’ ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शमशेर एक इम्प्रेस्निस्ट (प्रभाववादी) कवि और चित्रकार हैं जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से हिन्दी-उर्दू का दोआब निर्मित किया है।
शमशेर कहते हैं वो अपनों की बातें, वो अपनों की खू-बू/हमारी ही हिन्दी, हमारी ही उर्दू/ ये कोयल-ओ-बुलबुल के मीठे तराने/ हमारे सिवा इनका रस कौन जाने ! आपनी बात को आगे बढ़ाते हुए महेश जी ने कहा कि कलाकार सामान्य संसार के भीतर दूसरे या तीसरे कई तरह संसार का दृष्टा होता है। सामान्य मनुष्य जिसे नहीं देख पाता कलाकार उसे सामान्य मनुष्य के लिए उपलब्ध कराता है जैसे भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) कितने लोग भोर के नभ को
इस तरह देख पाते हैं। कलाकार का काम सामान्य जीवन के पीछे धड़कते हुए दूसरे जीवन को देखना है तथा इसे दर्ज कर इस तरह अभिव्यक्त करना है कि दूसरे लोग अपनी कल्पना को जीवित कर बेहतर बन सकें । रचनात्मकता ही संसार को सुन्दर और अच्छा बनाती है । क्रिएटिव मस्तिष्क को हमेशा सक्रिय रखने की जरूरत होती है जैसे कि निराला ने कहा था वह एक और मन रहा राम का जो न थका/ जो नहीं जानता दैन्य और विनय। यही जिद एक वास्तविक कलाकार को जन्म देती है। दरअसल साधारण के पीछे छिपी असाधारणता को खोज निकालना ही कला है। अंग्रेजी और और उर्दू के विद्वान डॉ. आर. पी. सिंह ने रचनात्मक विकास हेतु गहन अध्ययन और भाषा ज्ञान अति आवश्यक है इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से युवाओं को बचने की सलाह दी। कार्यक्रम के अगले चरण में कवि महेश वर्मा ने अपनी कवितायें सुनाई तथा छात्रों से उनकी कविताओं को सुना। डॉ. आर. पी सिंह ने महेश वर्मा की कविता ‘आदिवासी स्त्री का रूदन’ की बहुत ही सुन्दर व्याख्या प्रस्तुत की। कार्यक्रम की सदारत करते हुए प्राचार्य प्रो. रिजवान उल्ला ने कहा कि कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो/ तू आज जागाए जिस जगह / उस जगह से आगे बढ़ कर सो। कार्यक्रम में भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. रमेश
जायसवाल, राजनीतिशास्त्र के विनीत गुप्त सहित हिन्दी विभाग से डॉ. विजय लक्ष्मी शास्त्री, डॉ. कामिनी व सुसन्ना लकड़ा समेट सैकड़ों छात्र-छात्रएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. दीपक सिंह ने किया।