सूरजपुर: छत्तीसगढ़ शासन के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू के द्वारा सिलफिली ग्राम पंचायत में संचालित मधुवन दुग्ध आजीविका केन्द्र का निरीक्षण किया गया। उन्होंने परिसर में उपलब्ध सुविधाओं गाय सेड, चौकीदार भवन, महिला-पुरूष शौचालय, भूसा गौदाम, दुग्ध संग्रहण केन्द्र एवं ट्युबवेल इत्यादि का अवलोकन किया। उन्होंने जिला प्रशासन के द्वारा किये गये इस नवाचार की प्रंशसा की। अपर मुख्य सचिव ने गोधन न्याय योजना के तहत् इस केन्द्र को जोडे जाने के विषय में कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह से जानकारी ली एवं आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये।
ज्ञात हो अविभाजित सरगुजा के कलेक्टर प्रवीण कृष्ण एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत पंकज अग्रवाल के द्वारा वर्ष 1993-94 में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले आदिवासी परिवारों के लिए दुधारू पशुओं के रख-रखाव व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मधुवन केन्द्र की स्थापना की गई है यह केन्द्र 1997-98 में बंद हो गया और वहां बने भवनों एवं सामाग्रियों को ग्राम पंचायत को सुपुर्द कर दिया गया। इसके उपरांत लगभग 23 वर्षाे तक मधुवन परिसर ग्राम पंचायत की अभिरक्षा में रहा। वर्ष 2021-22 में पुनः सूरजपुर के कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह एवं जिला पंचायत सीईओ राहुल देव के दिशा निर्देशन एवं कुशल मार्गदर्शन से इस योजना को पुनः संचालित कराकर गोधन न्याय योजना से जोड़ कर प्रारंभ कराया गया है।
मधुवन डेयरी उत्पादन केन्द्र योजनाओं के समन्वयन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें ग्राम पंचायत, गोठान, महिला स्व-सहयता समूह, पिल्खा क्षीर एवं डेयरी संचालक को आपस में जोडा गया है, डेयरी संचालक मुकदेव यादव ग्राम सिलफिली जिला सूरजपुर विगत वर्षाे से अपने घर से ही डेयरी का संचालन कर रहे हैं एवं दुग्ध का वितरण अम्बिकापुर शहर में जाकर करते है जिससे उनका आने-जाने का अनावश्यक खर्च बढ़ जाता है साथ ही गायों की संख्या ज्यादा होने के कारण स्थान की कमी हो रही थी।ग्राम पंचायत सिलफिली में बने मधुवन परिसर काफी दिनों से उपयोग नही होने के कारण जर्जर हो चुका था जिसका पुनः जीर्णाेधार कराया गया और पंचायत द्वारा सर्व सहमति से मुकदेव यादव को डेयरी संचालन हेतु 30 हजार रूपयें वार्षिक किराये पर दिया गया जिससे पंचायत को अतिरिक्त आमदनी होगी एवं ग्राम स्तर पर एक आजीविका केन्द्र की शुरूवात की गई है। इसके अतिरिक्त वहां से होने वाले दुग्ध को पिल्खा क्षीर को बेचा जावेगा जिससे पिल्खा क्षीर को एक नियमित दुग्ध का स्त्रोत मिलेंगा एवं डेयरी संचालक को अपना दुग्ध बेचने के लिए कहीं भटकने की आवश्यकता नही होगीं। महिला स्व-सहायता समूह वहां से होने वाले गोबर का संग्रहण कर सिलफिली गोठान को बेचेगीं जिससे स्व-सहयता समूह सदस्यों को प्रतिमाह 10 से 12 हजार रूपयें की आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी।
मधुवन दुग्ध आजीविका केन्द्र 2.5 एकड़ में फैला है वर्तमान में वहां पर 40 गायों को रखा गया है, जिससे जर्सी, एच.एफ. गीर जैसी उन्नत नस्लो की गाय है इनमें से अभी 20 गायों द्वारा प्रतिदिन 150 से 180 लीटर से अधिक दुग्ध का उत्पादन हो रहा है साथ ही प्रतिदिन लगभग 6 क्विंटल गोबर भी हो रहा है। भविष्य में इस परिसर के अंदर मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए डबरी निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण उपरांत मछली पालन विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए मछली पालन को कराये जाने की योजना बनाई जा रही है खाली पडे परिसर में बकरीपालन किये जाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इस तरह इस केन्द्र को बहुउदेश्यीय आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किये जाने पर कार्य किया जा रहा है।