रायपुर: कोरोना संक्रमण के मरीज ठीक होने के बाद अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कई रोगियों में कोरोना से ठीक होने के बाद टीबी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कोविड के दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि ठीक होने के बाद भी रोगी को बलगम की जांच अवश्य करानी चाहिए। टीबी और कोविड दोनों संक्रामक रोग हैं, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को हानि पहुंचाते हैं। दोनों बीमारियों में खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एक जैसे होते हैं। हालांकि, टीबी में बीमारी की अवधि लंबी होती है और रोग की शुरुआत धीमी होती है।

राज्य क्षय रोग अधिकारी (टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम) डॉ. धर्मेंद्र गहवई ने बताया कि कोरोना वायरस और क्षय रोग (टीबी) के संक्रमण का तरीका और लक्षण लगभग मिलते-जुलते हैं। ऐसे में संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। यह बीमारी हवा में अत्यधिक फैलती है। कोविड से रिकवर होने के बाद भी अगर लगातार खांसी की समस्या बनी हुई है, तो टीबी की जांच अवश्य करानी चाहिए। डॉ. गहवई ने बताया कि कोविड-19 के बाद टीबी भी हो सकती है क्योंकि संक्रमण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है जिसके कारण टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।

डॉ. गहवई ने बताया कि कोविड का टीका टीबी से पीड़ित रोगियों को भी लगवाना अनिवार्य है। उन टीबी रोगियों को यह टीका नहीं लगवाना चाहिए, जिन्हें तेज बुखार है या फिर कोविड के लक्षण आ रहे हैं। ऐसे लोग लक्षण के ठीक होने पर कोविड का टीका लगवाएं। टीकाकरण के बाद भी कोविड से बचाव संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना जरूरी है। टीबी रोगियों को टीके की दोनों डोज के साथ प्रिकाशन डोज भी लगवानी है।

टीबी की जांच व उपचार सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध है। टीबी के लक्षण जैसे दो हफ़्तों से ज्यादा खांसी रहना, शाम के समय बुखार आना, अचानक से भूख कम लगना व वजन का घटना, लंबे समय तक बुखार का बने रहना इत्यादि दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर अपनी जांच व उपचार अवश्य कराएं।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!