रायपुर: राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वित्त विभाग में राशि के गबन मामले में फर्जी कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी और गबन समेत कई अन्य धारा के तहत आमानाका थाने में अपराध दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपित कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है। वर्तमान में 27 लाख से ज्यादा राशि का गबन पकड़ा गया है, लेकिन यह राशि पांच करोड़ से ज्यादा होने की आशंका है। इसमें कई अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका है।

एम्स प्रबंधन ने थाने में नामजद शिकायत दर्ज कराई थी। प्रबंधन के सामने जुलाई-2022 में राशि मामला खुला था। कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नितिन रामभाऊ वंजारी ने तत्कालीन कुलसचिव प्रो. नितिन आर गायकवाड़ से शिकायत की थी कि कुलसचिव कार्यालय में पीजी जेआर डा. अनिरूद्ध स्वप्र मेश्राम ने नो-ड्यूज के साथ जो रसीद दी है, वह पूर्व प्राप्त रसीद संख्या से अलग थी। शक होने पर डा. मेश्राम से इसे लेखा विभाग से सत्यापित कराने कहा गया।

वंजारी ने बताया कि कर्मचारी योगेंद्र पटेल ने काल करके नो-ड्यूज करने को कहा और 20 हजार रुपये देने की भी पेशकश की। इधर वंजारी की शिकायत पर तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच की गई। रिपोर्ट में कमेटी ने बताया कि योगेंद्र पटेल ने 20 कर्मचारियों और छात्रों को एक ऐसी रसीद बुक से काटकर दी है, जो प्रचलित नहीं है। इनसे मिले 27,89,400 रुपये भी एम्स के खाते में जमा नही की गई है।

आमानाका थाना प्रभारी संतराम सोनी ने कहा, एम्स की शिकायत के बाद अपराध दर्ज कर लिया गया है। हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। जिनके नाम सामने आएंगे, उनपर कार्रवाई की जाएगी।

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