7 सालों के बोनस का ब्याज कब देगी भाजपा सरकार?
बलरामपुर: भाजपा सरकार द्वारा जारी किये 2 साल के बोनस में भी धोखा है। जिला कांग्रेस कमेटी बलरामपुर के प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहा है कि प्रदेश के सभी बकाया 12 लाख किसानों को धान का बोनस नहीं मिला है। सरकार के पास वर्तमान में उस समय के किसानों की स्थिति का कोई डाटा ही नहीं है। बोनस के नाम पर गलत लोगो को फायदा पहुंचाने का षडयंत्र रचा गया है। भाजपा सरकार के द्वारा जारी किया गया 2 वर्ष का बोनस भी किसानों के साथ एक छलावा है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार और भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में बोनस को दिए जाने संबंधी निर्धारित वर्षों में भी भिन्नता है ।सरकार ने वर्तमान में किसानों की संख्या का भौतिक सत्यापन नहीं करवाया और न ही 2015-2016, 2016-2017 के पंजीकृत खातों की वर्तमान स्थिति का पता करवाया ऐसे में पात्र सभी किसानों को बोनस की राशि मिलेगी इसकी गारंटी नहीं है। सरकार ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है और प्रत्येक समिति स्तर पर बकाया बोनस के कृषकों की सूची जारी नहीं की है जिससे कृषक या उनके वारिसानों को बकाया बोनस की राशि नहीं मिल पा रही है।
जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि बीते हुए सात सालों में परिवारों में विभाजन हो चुका है, राजस्व खाते में बंटवारा हो गया है, कुछ कृषकों की मौत हो गयी, अन्य खातेदारों के नाम भी चढ़ गये। ऐसे में चिन्हांकित कैसे करेंगे किन-किन को बोनस देना है ? उस समय 12 लाख किसानों ने धान बेचा था तो खातों में बदलाव के बाद उनकी संख्या बढ़ेगी या घटेगी इसका सर्वे किये बिना बोनस देने की बाते कर रहे है यह सिर्फ भ्रम पैदा करना है। खेत बेच चुके किसानों के बोनस का क्या होगा ? न कोई दावा आपत्ति का अवसर न ही हितग्राहियों की कोई सूची या निश्चित संख्या है। प्रदेश अथवा जिले के किसी भी सहकारी समिति या फिर ग्रामवार कोई सूची किसानों की जारी नहीं की गई है
जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को किसानों के बोनस जारी करने के साथ ही प्रायश्चित भी करनी चाहिये। जनता से वादा किया था 2013 के चुनाव में धान पर 300 रू. प्रति क्विंटल बोनस देंगे और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आखिरी के 2 साल जो बोनस नहीं दिया था उसकी भरपाई भारतीय जनता पार्टी अब कर रही है। सात साल बाद किसानों को इनको प्रायश्चित के रूप में ब्याज भी देना चाहिये। इस बोनस की रकम के साथ किसानों को सात साल के पैसे का ब्याज भी देना चाहिये था। बैंक में भी यदि किसान अपनी रकम रखते तो उनका पैसा सात साल में दुगुना हो जाता।
वर्तमान परिस्थितियों में किसानों के बोनस वितरण में जितना भारी भरकम प्रचार प्रसार किया गया उसे हिसाब से पारदर्शिता किसी भी स्तर पर नहीं है जिससे बोनस वितरण में व्यापक धाधंली अनियमितता करने की गुंजाइश बन गई है किसानों के खाते से पैसे आहरण में भारी धांधली की शिकायतें मिल रही है स्थानीय कोऑपरेटिव सोसाइटी में व सहकारी बैंक की शाखाओं में क्षेत्रवार सुचीयों का चस्पा किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि सभी किसान बोनस वितरण का लाभ प्राप्त कर सकें।