श्रीनगर : बाढ़ से हुई तबाही के कारण शनिवार को श्रद्धालुओं के लिए रोकी गई अमरनाथ यात्रा परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर सोमवार या मंगलवार को बहाल हो सकती है। यात्रा मार्ग को श्रद्धालुओं के सुरक्षित आवागमन योग्य बनाने और पवित्र गुफा के पास आवश्यक ढांचागत सुविधाओं की पुनर्बहाली का काम युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियां लगातार इस प्रक्रिया में नयी चुनौती पेश कर रही हैं।

30 जून से जारी अमरनाथ यात्रा शुक्रवार शाम पवित्र गुफा के पास बादल फटने से आई बाढ़ के कारण शनिवार को बंद रही। बाढ़ के कारण पवित्र गुफा के पास पेयजल और बिजली आपूर्ति का ढांचा लगभग क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके अलावा वहांं स्थापित संचार तंत्र को भी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ के पानी के साथ आया मलबा टेंट व लंगर के लिए निर्धारित एक हिस्से पर बिछ गया है। कई जगह मलबा छह से आठ फुट तक है। पंचतरणी से आगे यात्रा मार्ग पर एक जगह नाले पर बना पुल भी बह चुका है। पवित्र गुफा के नीचे कई जगह कीचड़ जमा है, जिसे साफ किया जाना है। इसके अलावा यात्रा मार्ग भी कई जगह क्षतिग्रसत हो चुका है, कई जगह फिसलन के कारण वह श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए सुरक्षित नहीं रहा है।

यात्रा प्रबंधन से जुड़े श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि पैदल यात्रियों के लिए तीर्थयात्रा सोमवार से पहले बहाल करना मुश्किल है। रास्ता सुरक्षित बनाना है और इसके अलावा पवित्र गुफा पर उनके लिए लंगर व ठहरने की पर्याप्त सुविधाएं सुनिश्चित बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत चुनौतिपूर्ण हैं। नष्ट हुई ढांचागत सुविधाओं की मरम्मत और पुनर्बहाली के लिए आवश्यक साजो सामान को हेलीकाप्टर के जरिए मिनटों में वहां पहुंचाया जा सकता है, लेकिन मौसम अनुकूल होना चाहिए।

राहत और पुनर्बहाली का काम तेजी से जारी है। क्षतिग्रस्त बिजली-पेयजल और संचार तंत्र की मरम्मत का काम हो रहा है। इसके साथ लापता लोगों की तलाश भी जारी है। रास्ता ठीक किया जाना है, इसलिए अभी यात्रा की पुनर्बहाली का सही समय नहीं बता सकते, लेकिन इसमें कम से कम दो दिन लग सकते हैं और यह मौसम पर निर्भर करेगा। –सचिन शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल

मैंने प्रभावित इलाके का मुआयना किया है। यात्रा को अगले एक दो दिन में बहाल किया जा सकता है। पवित्र गुफा के नीचे जहां श्रद्धालुओं के लिए लंगर और टेंट की व्यवस्था होती है, वहां कई जगह मलबा जमा हो चुका है, उसे साफ किया जाना है। यात्रा मार्ग पर कई जगह लगे सुरक्षा अवरोधक टूटे हैं। यह इलाका पहाड़ी है, जहां जो भी सामान जाएगा, नीचे से जाएगा और श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच आवश्यक सामान को ऊपर तक पहुंचाना बहुत मुश्किल और जोखिम भरा है। हेलीकाप्टर से सामान उतारा जा सकता है, लेकिन मौसम की चुनौती वहां भी है। रास्ता भी ठीक करना है। इसके अलावा भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचने के लिए श्रद्धालुओं के लिए लंगर और टेंट की व्यवस्था के लिए सुरक्षित जगह को भी चिन्हित करना जरूरी है।

कुलदीप सिंह, महानिदेशक सीआरपीएफ

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