अम्बिकापुर: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सत्र न्यायाधीश आर.बी. घोरे के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमित जिंदल ने सुधार गृह का भ्रमण कर निरीक्षण किया। उन्होंने इस अवसर पर बच्चों को बाल विवाह के संबंध में विधिक जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह करना गैर कानूनी है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-3 के अनुसार पक्षकार के चाहने पर बाल विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता है। बाल विवाह करने वाले व्यक्ति को 2 वर्ष की कारावास या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायालय को बाल विवाह रोकने की शक्ति प्रदान की गई है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमित जिंदल ने बालिका गृह अम्बिकापुर की जांच की। उन्होंने विधिक जागरूकता शिविर के आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला। संविधान में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखाना या अन्य खतरनाक काम में नहीं लगाने का प्रावधान है साथ ही बच्चों के विकास को दृष्टिगत रखकर समुचित प्रावधान किया गया है। बच्चों के हित में बाल कल्याण एवं किशोरों के लिए अधिवक्ताओं के माध्यम से सुविधा देने का प्रावधान है। उन्होंने बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के तहत की गई व्यवस्था की जानकारी दी। किसी भी बालक से शाम 7 बजे से प्रातः 8 बजे के मध्य कार्य कराए जाने पर प्रतिबंध है। बच्चों के लिए सप्ताह में एक दिन अवकाश दिया जाना आवश्यक है।