कोरबा। छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान को 2 दिन शेष रह गए हैं। इधर, कोरबा सीट से पहली जीत हासिल करने के लिए भाजपा जोर लगा रही है। इसी कड़ी में कोरबा शहर में केन्द्रीय गृह मंत्री और पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की सभा रखी गई है। यह चुनावी सभा आज 15 नवम्बर को दोपहर 1से 2 बजे के बीच घण्टाघर मैदान पर होगी।

कोरबा विधानसभा क्षेत्र 2008 के चुनाव में अस्तित्व में आया था। तब से इस सीट से कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल चुनाव जीतते आ रहे हैं। राज्य की भूपेश सरकार में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री के ओहदे पर आसिन जयसिंह अग्रवाल चौथी दफे चुनावी मैदान पर हैं। भाजपा से लखनलाल देवांगन उन्हें चुनौती दे रहे हैं। 17 नवम्बर को मतदान होना है। इसके पहले 15 नवम्बर को भाजपा ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी सभा बुलाई है। बताया गया है शाह आज 1.55 से 2.35 बजे तक सभा व शहर में रोड शो करेंगे।

सवाल यह उठ रहा है कि क्या अमित शाह जैसे भाजपा के दिग्गज नेता के चुनाव प्रचार पर आने से पार्टी के उम्मीदवार को इसका लाभ मिलेगा? भाजपा ने कोरबा सीट पर 15 साल से विधायक के तौर पर काबिज जयसिंह को बेदखल करने की रणनीति के तहत लखनलाल देवांगन को काफी पहले टिकट थमा दिया था। शाह के कोरबा आने के पीछे भी यह वजह है कि वे इस सीट पर जयसिंह के दबदबे को खत्म करना चाहते हैं। लखनलाल कांग्रेस के जयसिंह का सामना करने वाले चौथे प्रत्याशी हैं। 2008 में बनवारीलाल अग्रवाल, 2013 में जोगेश लांबा और 2018 के चुनाव में विकास महतो को पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, लेकिन तीनों चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

दरअसल कोरबा भाजपा कई गुटों में बंटी हुई है। मौजूदा चुनाव में भी इस गुटबाजी का असर दिख रहा है। मतदान को गिनती के दिन रह गए हैं। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल की स्थिति नहीं दिख रही है। लखनलाल देवांगन अपने स्तर पर प्रचार में सक्रिय हैं। अमित शाह के कोरबा आने के बाद पार्टी के नेताओं में एका हो सकता है और कार्यकर्ताओं में उत्साह, लेकिन मतदान के ऐन वक्त पर इसका बहुत ज्यादा लाभ उम्मीदवार को मिलेगा, इस पर शंका रहेगी।
केन्द्रीय स्तर पर अमित शाह को चुनावी प्रबंधन के लिए जाना जाता है तो कोरबा विधानसभा क्षेत्र में यही स्थिति कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल की है। अग्रवाल का चुनावी मैनेजमेंट बेहद सटीक होता है। इसी का नतीजा है 15 साल से विधायक और मंत्री रहते हुए भी उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं के बराबर है। क्योंकि इलेक्शन मैनेजमेंट से इसे कंट्रोल में रखा गया है। बहरहाल 17 नवम्बर को मतदान और 3 दिसम्बर को होने वाली गिनती के बाद ही पता चलेगा कि जयसिंह अग्रवाल की चौथी बार विजय होती है या भाजपा की कोरबा सीट से पहली जीत।

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