रायपुर: छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आर्थिक अनियमितता और लेन-देन में गड़बड़ियों के आरोपों से घिरे मंडल के अधिकारियों पर गाज गिरी है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन अभियंता वीके गहरवाल को प्रोजेक्ट में गड़बड़ियों के आरोपों में निलंबित कर दिया गया है, वहीं नियम विरुद्ध प्रमोशन के आरोपों के घिरे मंडल के अपर आयुक्त हेमंत वर्मा ने तीन महीने पहले सेवा से त्याग-पत्र दे दिया था, लेकिन मंडल के आयुक्त आइएएस सत्यनारायण राठौड़ को हाल ही में मंडल के आयुक्त पद से हटाएं जाने के बाद वर्मा ने फिर से सेवा में रहने के लिए आवेदन दे दिया है।

सूत्रों के मुताबिक नियम विरुद्ध प्रमोशन के मामले में वर्मा पर अपर आयुक्त से डिमोशन की आशंका बनी हुई थी। इसकी वजह से उन्होंने त्याग-पत्र दे दिया था, लेकिन अब उन्होंने फिर से त्याग-पत्र वापस ले लिया है। मंडल के सूत्रों का कहना है कि आयुक्त सत्यनारायण राठौड़ ने आर्थिक अनियमितता के पुराने मामलों में ताबड़तोड़ कार्यवाही की थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने कुछ महीनों के भीतर मंडल से हटा दिया गया।

हाउसिंग बोर्ड के अपर आयुक्त के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) और लोक आयोग में जांच चल रही है। उन परआरोप है कि वर्ष 2006 और 2008 में राज्य शासन के बिना अनुमोदन भर्ती नियम के आधार पर नियमों के खिलाफ चार वरिष्ठ अधिकारियों को पदोन्न्ति दी गई थी। इस मामले पर उपायुक्त अजीत सिंह पटेल ने नियम विरुद्ध पदोन्न्ति को लेकर अभ्यावेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत किया। इसके बाद लोक आयोग में जांच की स्वीकृति मिली। वर्मा पर दुर्ग के तालपुरी प्रोजेक्ट में अनियमितता के विरुद्ध भी जांच जारी है। इसके साथ ही पुरैना में सरकारी जमीन की अदला-बदली के मामले भी तेलीबांधा थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।

अधिकारियों पर कार्यवाही के मामले पर जब मंडल के प्रशासकीय अधिकारी आरके ध्रुव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आर्थिक अनियमितता और गड़बड़ियों के खिलाफ कुछ अधिकारियों पर कार्यवाही की गई है, वहीं नोटिस भी जारी किया गया है। तीन महीने पूर्व पद से त्याग-पत्र देने के आवेदन के बाद अपर आयुक्त हेमंत वर्मा ने हाल ही में फिर से सेवा में रहने के लिए आवेदन दिया है, वहीं कार्यपालन अभियंता वीके गहरवाल निलंबित हैं। इस मामले पर मंडल के अपर आयुक्त हेमंत वर्मा से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे उच्च अधिकारियों के दबाव की वजह से उन्होंने तीन महीने पहले सेवा से त्याग-पत्र दे दिया था। अब फिर से नौकरी करना चाह रहे हैं।

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