रायपुर। साल के अंत में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सबसे पुरानी पार्टी एकता दिखाने की कोशिश में लगी है, लेकिन फिर भी इसमें आंतरिक संघर्ष चल रहा है, जो इसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और इसी बीच उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव और बलरामपुर के विधायक बृहस्पति सिंह के बीच के तनावपूर्ण संबंधों की आंच तेज होने लगी है।हाल ही में एक सभा में टीएस सिंह देव ने दो साल पुरानी घटना को याद किया, जिसमें रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह ने डिप्टी सीएम ने दावा किया था कि उनको उपमुख्यमंत्री ने जान का खतरा है। ऐसे में टीएस सिंह देव ने कहा कि वह 90 सीटों में से एक सीट की जिम्मेदारी नहीं ले सकते और उन्होंने खुद को विधायक बृहस्पति सिंह के पार्टी अभियानों से खुद को दूर करने के अपने इरादे का संकेत दे दिए हैं।इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा, “आगामी चुनाव में छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से एक सीट से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। उस एक सीट पर पार्टी की जीत या हार से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

2021 में, बलरामपुर जिले के रामानुजगंज से मौजूदा विधायक बृहस्पत सिंह ने कथित तौर पर सिंह देव पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे पूरे प्रदेश विधानसभा में हलचल मच गई थी और सीएम बघेल सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी।हालांकि, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बृहस्पत सिंह ने कहा कि बाबा साहेब (डिप्टी सीएम) को राज्य में सरकार बनाने का जिम्मा सौंपा गया है, टिकट वितरण पर उनका एकमात्र अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ”बाबा अकेले नहीं हैं, फैसला आलाकमान, सीएम बघेल के साथ-साथ जनता भी करेगी।”

गौरतलब है कि रामानुजगंज सरगुजा क्षेत्र की उन 14 सीटों में से एक है, जहां से टीएस सिंह देव भी आते हैं। यह आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट है, जिस पर भाजपा ने पहले ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामविचार नेताम को प्रत्याशी बना दिया है।यहां तक कि बृहस्पत सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी रामविचार नेताम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है, “बीजेपी शासन के दौरान छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री रहे रामविचार नेताम ने नक्सलियों को हथियार खरीदने के लिए पैसे दिए हैं।

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