रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य को भारत सरकार द्वारा रबी सीजन 2021-22 के लिए अब तक मात्र 2 लाख 12 हजार 162 मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति की गई है, जो कि भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए अक्टूबर से फरवरी माह तक के लिए जारी सप्लाई प्लान का 52 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य को भारत सरकार द्वारा रासायनिक उर्वरकों का आबंटन स्वीकृत मात्र एवं सप्लाई प्लान के अनुसार नहीं किया जा रहा है।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भारत सरकार को रबी वर्ष 2021-22 के लिए 7.50 लाख मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की मांग की गई थी। किन्तु भारत सरकार ने 4.11 लाख मेट्रिक टन उर्वरक छत्तीसगढ़ को दिए जाने की स्वीकृति दी गई, जो कि राज्य की मांग का मात्र 55 प्रतिशत ही है। छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा मांग किए गए उर्वरक की मात्रा में पहले ही भारत सरकार द्वारा 45 प्रतिशत की कमी कर दी गई है। चालू रबी सीजन के लिए भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ को स्वीकृत 4.11 लाख मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों में यूरिया 2 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 60,000 मेट्रिक टन, एनपीके 50,000 मेट्रिक टन, एमओपी 26,000 मेट्रिक टन एवं एसएसपी 75,000 मेट्रिक टन शामिल है।
कृषि मंत्री श्री चौबे ने बताया कि स्वीकृत मात्रा 4.11 लाख मेट्रिक टन के विरूद्ध भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य को अक्टूबर से फरवरी तक 3 लाख 46 हजार 225 मेट्रिक टन उर्वरकों की सप्लाई का प्लान जारी किया गया है। सप्लाई प्लान के विरूद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को आज की स्थिति में मात्र 2 लाख 12 हजार 162 मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की ही आपूर्ति की गई है, जो कि छत्तीसगढ़ के लिए स्वीकृत मात्रा का मात्र 52 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को कुल आवश्यकता के मुकाबले 4 लाख 36 हजार मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने की बात असत्य एवं भ्रामक है।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि रबी सीजन 2021-22 में राज्य में एक अक्टूबर 2021 की स्थित में रासायनिक उर्वरकों की बचत मात्रा तथा भारत सरकार द्वारा नवीन आपूर्ति की मात्रा को यदि मिला दिया जाए तो पर भी रासायनिक उर्वरकों की कुल मात्रा 3 लाख 69 हजार 817 मेट्रिक टन होती है, जो कि भारत सरकार द्वारा बताई जा रही मात्रा की 4 लाख 36 हजार मेट्रिक टन से काफी कम है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को भारत सरकार द्वारा आवश्यकता के मुकाबले 4 लाख 36 हजार मेट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध कराए जाने की बात पूरी तरह से असत्य है।