रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार बस्तर संभाग में रेशम पालन तथा कोसा उत्पादन करने वाले आदिवासी-वनवासी कृषकों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसके तहत रैली कोसा का क्रय अब समर्थन मूल्य पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा किया जाएगा। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि शासन के इस महत्वपूर्ण निर्णय से अब रैली कोसा के उत्पादन सहित प्रसंस्करण का अधिक से अधिक लाभ स्थानीय निवासियों को मिलेगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल द्वारा राज्य में रैली कोसा के स्थानीय प्रसंस्करण को बढ़ाते हुए स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया गया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य कोसा उत्पादन में अग्रणी है। राज्य में दो प्रकार के कोसा का उत्पादन होता है, जिसे रैली तथा डाबा कोसा कहा जाता है। वर्तमान में रेशम विभाग द्वारा डाबा कोसा क्रय किया जाता है, परन्तु रैली कोसा का क्रय व्यापारियों के माध्यम से होता है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ में उत्पादित रैली कोसा को समर्थन मूल्य पर क्रय करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को निर्देशित किया गया है। इसका राज्य के जगदलपुर, दंतेवाड़ा, केशकाल, नारायणपुर, कोण्डागांव तथा सुकमा आदि जिले के आदिवासी-वनवासी कृषकों सहित निवासियों को सीधा-सीधा लाभ मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि रैली कोसा का उत्पादन मुख्य रूप से साल वृक्ष पर प्राकृतिक रूप से होता है। डाबा कोसा का उत्पादन अर्जुन, साजा एवं लेंडिया आदि वृक्षों पर होता है। रैली कोसा परिमाण तथा गुणवत्ता में डाबा कोसा से उत्कृष्ट है। रैली कोसा 2 सीजन भादो तथा चैती में होता है। भादो फसल की मात्रा तथा गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ राज्य में 8 से 12 करोड़ रैली कोसा-कोकून का उत्पादन होता है। इसका औसतन मूल्य 30 से 40 करोड़ रूपए होता है। साथ ही 9 से 10 करोड़ कोकून डाबा कोसा के रूप में उत्पादन होता है, जिसका मूल्य लगभग 25 से 30 करोड़ रूपए होता है। वर्तमान में इनमें से डाबा कोसा का क्रय रेशम विभाग द्वारा किया जाता है, परन्तु रैली कोसा का क्रय व्यापारियों के माध्यम से होता है।