जगदलपुर: बस्तर में नक्सल गतिविधियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एक समय पर जिस नक्सली संगठन का दबदबा पूरे इलाके में था, अब वह सिमटने की स्थिति में आ गया है। हाल ही में सुरक्षा बलों और सरकार की प्रभावी रणनीति के चलते कोंटा, कटेकल्याण, मलांगीर और कांगेर घाटी एरिया कमेटी का पूरी तरह से सफाया कर दिया गया है। 

कभी बस्तर में नक्सलियों की जिन एरिया कमेटियों की तूती बोलती थी, अब उनका नामलेवा भी नहीं बचा है। जो कुछेक नक्सली नेता संगठन से जुड़े हुए थे, उन्हें भी नेतृत्व की ओर से स्थानांतरित कर दिया गया है। नेतृत्व संकट और नई भर्तियों की कमी के चलते नक्सली संगठन कमजोर पड़ रहा है। सुरक्षा बलों की सटीक रणनीतियां और स्थानीय लोगों का समर्थन न मिलने से नक्सली संगठनों पर दबाव बढ़ा है। साथ ही, संगठन के अंदरूनी मतभेद और शिफ्टिंग पैटर्न ने भी नक्सलियों की गतिविधियों को सीमित कर दिया है। 

बस्तर में इन बदलावों के चलते सुरक्षा और विकास का माहौल बन रहा है। एरिया कमेटियों के खात्मे से न केवल नक्सल प्रभाव में कमी आई है, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता का नया अध्याय शुरू हो रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सतर्कता और निरंतर प्रयास जरूरी हैं ताकि नक्सली गतिविधियां दोबारा सिर न उठा सकें। 

बस्तर में कोंटा, कटेकल्याण, मलांगीर और कांगेर घाटी की एरिया कमेटियों के खात्मे ने नक्सलवाद के खिलाफ जंग में एक बड़ी सफलता दिलाई है। अब बस्तर नक्सलवाद से मुक्ति के कगार पर खड़ा है, और यह क्षेत्र एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ रहा है। 

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