भिलाई: दो दिन में जिले के छह मकानों को निशाना बनाने वाले भोपाली गैंग को पकड़ने में पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। गिरोह के तीनों आरोपितों ने जिले के पॉश कॉलोनियों को चिह्नित कर वहां के सूने मकानों से दिन दहाड़े चोरियां की थी। आरोपितों का सुराग मिलने के बाद पुलिस ने जब उन्हें पकड़ने के लिए नाकेबंदी की तो आरोपितों ने एसीसीयू के एक सिपाही को कार से कुचलकर उसकी हत्या करने की भी कोशिश की। अंतत: पुलिस ने तीनों आरोपितों को पकड़ा और उनके पास से चोरी के जेवर, नकदी रुपये, घड़ी, मोबाइल और चोरी के लिए इस्तेमाल किए किए जाने वाले औजार, वॉकी टॉकी और कार को जब्त किया है।
एसपी जितेंद्र शुक्ला ने पत्रकार वार्ता में इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि भोपाली गैंग के मुखिया अनूप सिंह, अमित सिंह और राकेश कुशवाहा को गिरफ्तार किया गया है। तीनों आरोपित बहुत ही शातिर और आदतन चोर हैं। पिछले 10 साल से ये तीनों चोरियां कर रहे हैं। तीनों ने वर्ष 2015 में पहली चोरी उज्जैन में की थी। इसके बाद भोपाल, महाराष्ट्र, भीलवाड़ा (राजस्थान) को अपना निशाना बनाया था।तीन में दो आरोपित अमित सिंह और राकेश कुशवाहा एक ही मोहल्ले के रहने वाले हैं और राजस्थान के जेल में उनकी मुलाकात अनूप सिंह से हुई थी। इसके बाद तीनों ने अपना एक गिरोह बनाया और घूम घूमकर चोरियां करने लगे। आरोपितों के पास से करीब दो लाख 40 हजार रुपये नकद, 20 लाख रुपये जेवर, घटना में प्रयुक्त कार, ताला व दरवाजा तोड़ने का औजार और वाकी टाकी जब्त किया गया है।
एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि तीनों आरोपित बहुत ही शातिर हैं। डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ने से बचने के लिए ये लोग तकनीक का पूरा इस्तेमाल करते थे। उन्होंने बताया कि गूगल मैप के सहारे ये लोग छत्तीसगढ़ पहुंचे। मैप पर बिना टोल नाके वाले रास्ते चुनकर उसका इस्तेमाल करते थे। गूगल मैप पर ही पॉश कॉलोनियां खोजते थे। इन्हें ये पता था कि पॉश कालोनियों में कोई इन पर शक नहीं कर सकेगा और ये लोग सुबह नौ से रात नौ बजे के बीच ही चोरी करते थे।
आरोपित मोबाइल तो रखते थे लेकिन, उसमें सिम नहीं होती था। ताकि उन्हें मोबाइल लोकेशन के आधार पर ट्रेस न किया जा सके। एक वाईफाई डोंगल के जरिये तीनों मोबाइल को कनेक्ट रखते थे और वाट्सएप काल से परिवार वालों से बात करते थे। चोरी के दौरान एक दूसरे से संपर्क में रहने के लिए ये लोग वॉकी टॉकी का इस्तेमाल करते थे। एक आरोपित कार में रहकर बाहर नजर रखता था और बाकी के दो आरोपित चोरी करते थे। बाहर बैठे आरोपित को संदेह होता तो वो वाॅकी-टाॅकी से मैसेज कर देता था ताकि उसके दोनों सदस्य वहां से निकल सकें।
पूछताछ में आरोपितों ने पुलिस को बताया कि उनके ऊपर करीब 24 लाख रुपये का कर्ज है। जिसे चुकाने के लिए वे छत्तीसगढ़ में चोरी करने पहुंचे। आरोपित पांच अप्रैल को रायपुर पहुंचे और पहले अपनी कार पर फर्जी नंबर प्लेट लगाया। तेलीबांधा थाना क्षेत्र के प्रोफेसर कालोनी में पहली चोरी की। इसके बाद आरोपित दुर्ग जिले में घुसे। छह अप्रैल को कुम्हारी के कैवल्य धाम के पास कार को रोककर उसमें आराम किया। इसके बाद आरोपित सुपेला पहुंचे और यहां पर प्रियदर्शिनी परिसर के एक और नेहरू नगर के तीन घरों में चोरियां की। इसके बाद आरोपित रात में फिर से कार में ही सोए।अगले दिन सात मई को ये आरोपितों ने पहले सेक्टर-10 के एक घर में चोरी की और फिर तालपुरी कॉलोनी के एक ब्लॉक के एक मकान को निशाना बनाया। तब तक आरोपितों का सुराग मिल चुका था। तालपुरी कालोनी में होने की जानकारी मिलने पर आरोपित वहां से पद्मनाभपुर होते हुए भाग रहे थे। जिसे एसीसीयु की टीम ने पकड़ा। चोरी के रुपयों को आरोपितों ने अपनी कार की बोनट और सीट कवर के नीचे छिपाकर रखा था।