सुकमा। नक्सल मोर्चे पर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. राज्य सरकार की नक्सलवाद उन्मूलन नीति और जवानों द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से प्रभावित होकर 8 लाख के सक्रीय इनामी नक्सली कमांडर नागेश उर्फ़ एर्रा ने सुकमा एसपी किरण चव्हाण के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. बता दें कि नक्सली कमांडर नागेश काफी लंबे समय से सक्रिय था. वह बस्तर में बड़ा नक्सली कमांडर रहा है.

सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि नागेश उर्फ़ एर्रा (उम्र 38 साल) जगरगुंडा का रहने वाला है. मौजूदा समय में वह नक्सलियों की पीएलजीए बटालियन के कंपनी नंबर 2 के कमांडर के तौर पर सक्रीय था. सुकमा के ताड़मेटला में साल 2010 में हुए हमले में 76 जवान शहीद हुए थे, इस हमले में भी नागेश शामिल था.

एसपी किरण चव्हाण के मुताबिक नागेश नक्सलियों की खोखली विचारधारा से परेशान हो गया था, जिसके बाद उसने नक्सलवाद उन्मूलन नीति” के तहत विश्वास, विकास एवं सुरक्षा की भावना एवं सुकमा पुलिस द्वारा चलाये जा रहे “पुना नर्कोम अभियान” नई सुबह, नई शुरूआत से प्रभावित होकर नक्सलियों का साथ छोड़ने और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का निर्णय लिया और आज पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. एसपी किरण चव्हाण ने अन्य नक्सलियों से भी नक्सलवाद को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने की अपील की है.

बता दें कि नागेश उर्फ़ एर्रा साल 2010 में जिले के ताड़मेटला में हुए बड़े हमले में भी शामिल था. दरअसल 6 अप्रैल 2010 में यह हमला पैरामिलिट्री फोर्स पर हुआ देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. इस दिन 120 जवान सर्चिग पर निकले थे, तभी करीब 1000 नक्सलियों फायरिंग शुरू कर दी. नक्सलियों ने जवानों के हथियार और जूते भी लूट लिए थे.

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