कोरबा: मत्स्य पालन से जुड़े मछुआरों के जीवन में अब परिवर्तन आने लगा है। पारंपरिक तरीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों को आधुनिक पद्धति से मछली पालन करने सामग्री उपलब्ध कराने पर न सिर्फ मछली उत्पादन में वृद्धि हुई है, अपितु उनकी आमदनी में भी इजाफा हुआ है। बांगों सिंचाई जलाशय अंतर्गत डूबान क्षेत्र के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों को कुछ साल पहले तक मत्स्य पालन में आमदनी के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती थी। इसके बावजूद उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब इस क्षेत्र के ग्राम-सतरेंगा, आए तो उन्होंने मत्स्यिकी समूहों की आवश्यकताओं को समझा और मछुआ समूहों को 1000 नग केज उपलब्ध कराने की घोषणा की। मुख्यमंत्री के घोषणा उपरांत जिला खनिज संस्थान न्यास कोरबा एवं विभागीय सहयोग से बांगो सिंचाई जलाशय के ग्राम-सतरेंगा में 100 नग, ग्राम-गढ़उपरोड़ा में 100 नग तथा निउमकछार में 800 नग केज स्थापना का कार्य पूर्ण किया गया तथा बांगो सिंचाई जलाशय के आस-पास के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के 200 सदस्यों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया।परिणामस्वरूप मछुआ समूहों की आमदनी पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गई है और वे आत्मनिर्भर की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

मत्स्य विभाग द्वारा बताया गया कि 200 हितग्राहियों में प्रत्येक हितग्राही को 5-5 नग केज आबंटित है, प्रत्येक केज में 5000 नग तिलापिया मोनोसेक्स/पंगेशियस मत्स्य बीज संचित कर मत्स्य उत्पादन किया जा रहा है तथा प्रत्येक केज से लगभग 2000 कि.ग्रा. मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में प्रत्येक हितग्राही को आबंटित केज से राशि रू. 87,000 की आय प्राप्त हुई। केज कल्चर से हितग्राहियांे के आर्थिक स्थिति में क्रमंशः सुधार हो रहा है हितग्राही कृषि के साथ मत्स्य पालन का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं एवं उन्हें प्रोटीन युक्त आहार की प्राप्ति हो रही है। उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। प्राप्त आय को हितग्राहियों द्वारा मकान की मरम्मत का कार्य, बच्चों के अध्ययन में तथा दैनिक उपयोग की सामग्री क्रय करने में व्यय किया जा रहा है। योजना से 200 सदस्य एवं 800 पारिवारिक सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं।

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