धमतरी:-छत्तीसगढ़ के धमतरी के सेमरा गांव में दिवाली हर साल मनाई जाती है, लेकिन उस दिन नहीं जिस दिन पूरा देश मनाता है। बल्कि उसके एक सप्ताह पहले ही यहां दीपावली पर्व मनाया जाता है।कार्तिक अमावस्या की जगह एक सप्ताह पहले अष्टमी तिथी को इस गांव में दिवाली मनाई जाती है। ऐसा हर साल किया जाता है। इसके पीछे का कारण 100 साल से भी पुरानी कहानी से जुड़ा है। ग्रामीणों में एक अलग ही मान्यता है, जिसके चलते 100 साल से दिवाली जैसा प्रमुख त्योहार 7 दिन पहले ही मना लिया जाता है।दिवाली के दिन समेरा गांव में समान्य दिनों की तरह ही माहौल रहता है। दिवाली की न तो कोई पूजा की जाती है और न ही जश्न मनाया जाता है।

ग्रामीणों का कहना है कि 100 साल पहले ग्राम देवता ने गांव के बैगा को सपने में आकर कहा था कि गांव में त्योहार 7 दिन पहले ही मनाया जाए। तब से यही परंपरा चलती आ रही है। ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा नहीं किया गया तो गांव पर विपदा आ जाती है। भले ही ये अंधविश्वास लगे, लेकिन है बेहद अनोखा।

घने जंगलों के बीच बसा था गांव
समेरा गांव में दिवाली ही नहीं उसके पहले धनतेरस से लेकर गोवर्धन पूजा तक।सभी त्योहार सात दिनों पहले मनाए जाते हैं। दीपावली के पांचों दिन के रीति रिवाज सब कुछ उसी तरह होते हैं, लेकिन सात दिन पहले कर लिये जाते हैं। समेरा गांव के सुखराम साहू, गजेंद्र सिन्हा और रामू साहू ने बताया कि उन्हें उनके बुजुर्गों ने एख कहानी बताई थी। इसके मुताबिक काफी पहले गांव में दो दोस्त रहते थे।उस दौर में गांव घने जंगलो के बीच हुआ करता था।एक दिन दोनों दोस्त जंगल घूमने गए तो शेर ने उनका शिकार कर लिया।दोनों दोस्तो के शव गांव में लाए गए और अंतिम संस्कार किया गया।

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