रायपुर: छत्तीसगढ़ में शिक्षा से वंचित लोगों को साक्षर बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक नई पहल की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत, अब सब्जी, अनाज, फल, रेत, गिट्टी, लकड़ी और खेत खलिहान जैसे रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं के माध्यम से अक्षर और अंक ज्ञान सिखाया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशन में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण और एससीईआरटी ने इस पहल को आगे बढ़ाया है। ‘उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम’ के तहत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में इस कार्यक्रम को पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए विशेष रणनीतियाँ तैयार की गईं। इस कार्यशाला में 33 जिलों के प्रतिनिधि और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।
उल्लास साक्षरता केंद्रों के माध्यम से असाक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन केंद्रों में अक्षर और अंक ज्ञान के साथ-साथ जीवन कौशल की शिक्षा भी दी जाएगी। खेल, गीत और अन्य रोचक गतिविधियों से कक्षाओं को अधिक प्रभावी और आनंददायक बनाने का प्रयास किया जाएगा। कार्यशाला में ‘उल्लास प्रवेशिका’ के उपयोग, पढ़ाने के रोचक तरीकों, और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे कि दीक्षा पोर्टल और एनसीईआरटी के यूट्यूब चैनल का उपयोग करने पर भी चर्चा की गई। उल्लास एप्प का भी उपयोग शिक्षण में किए जाने के संबंध में चर्चा की गई। इस कार्यक्रम के तहत सभी को स्वयं शिक्षक बनकर असाक्षरों को साक्षर करने का संकल्प दिलाया गया।
कार्यशाला में एससीईआरटी के संचालक राजेन्द्र कटारा, अतिरिक्त संचालक जे. पी. रथ, उल्लास के नोडल अधिकारी प्रशांत पाण्डेय, और अन्य प्रमुख अधिकारियों के साथ-साथ प्रदेश के सभी जिलों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।