रायपुर।मां अपने बच्‍चों के लिए कुछ भी कर सकती है। बच्‍चों की रक्षा के लिए मां अपनी जान पर खेल जाती है। तभी तो कहते हैं मां के प्रेम से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। ऐसा ही एक मामला छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सामने आया है, जहां बेटे को समस्‍या आई तो मां आगे आकर उसे नया जीवन दिया।

दरअसल, बलौदाबाजार के 37 साल के बेटे की किडनी खबरा हो गई थी। बेटे का जीवन बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्‍प था। ऐसे में बेटे का जीवन बचाने के लिए मां किडनी दान करने के लिए आगे आई। रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों ने किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया है। अब किडनी प्रत्यारोपण के बाद मां और बेटा पूरी तरह स्वस्थ है।

दरअसल, मरीज की नवंबर में दोनों किडनी खराब होने के बाद एम्स के नेफ्रोलाजी और यूरोलाजी विभाग में रेफर किया गया था। मरीज की हालत इतनी अधिक गंभीर थी कि प्रत्येक सप्ताह तीन बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती थी। हाथ-पैर में सूजन और कमजोरी की वजह से मरीज की स्थिति प्रतिदिन बिगड़ती देखकर चिकित्सकों ने किडनी प्रत्यारोपण का निर्णय लिया।

मरीज की मां ने किडनी दान कर बेटे की जान बचाई। 11 जुलाई को आपरेशन के बाद अब दोनों स्वस्थ हैं और चिकित्सकों की सघन निगरानी में हैं। करीब चार घंटे चले आपरेशन में एम्स के चिकित्सकों ने किडनी का प्रत्यारोपण किया। इससे पूर्व पांच किडनी प्रत्यारोपण पीजीआइ लखनऊ के वरिष्ठ चिकित्सकों के निर्देशन में किए गए थे।

इसमें यूरोलाजी विभाग के डा. अमित आर. शर्मा, डा. सत्यदेव शर्मा, डा. दीपक बिस्वाल, नेफ्रोलाजी विभाग के डा. विनय राठौड़, डा. रोहित बड़गे और एनेस्थीसिया विभाग के डा. सुब्रत सिंघा, डा. जितेंद्र, डा. मयंक शामिल थे। एम्स में पहला किडनी प्रत्यारोपण दिसंबर-22 में किया गया था। कबीरधाम के रहने वाले 27 वर्षीय युवक को उसकी मां की किडनी प्रत्यारोपित की गई थी।

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