जगदलपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जगदलपुर प्रवास पर नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण के विरोध में कांग्रेस ने बंद का आव्हान किया है। बंद का असर दिखने लगा है। शहर में अभी तक दुकानें नहीं खुली है। इक्का दुक्का चाय नाश्ता ठेले ही खुले हैं। शहर को भाजपा ने बैनर पोस्टर स्वागत द्वार से पाट दिया है। सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था है।इससे पहले सर्व आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ नगरनार प्रभावित क्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में चार सूत्री मांग को लेकर जगदलपुर से नगरनार तक निजीकरण को लेकर मूलनिवासी समाज ने महारैली निकाली।

आंदोलनकारी नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में, एनएमडीसी मुख्यालय हैदराबाद से बस्तर लाने, स्थानीय भर्ती में प्राथमिकता लागू करने, जातिगत जनगणना की मांग लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। महारैली के दौरान वाहनों के काफिले से जगदलपुर से नगरनार के बीच कई बार जाम की स्थिति देखने को मिली। आज समाज ने बस्तर का बंद ऐलान किया है।

सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि हम नगरनार संयंत्र की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ेंगे। किसी भी कीमत पर संयंत्र का निजीकरण नहीं होने देंगे। इसके लिए सभी मूलनिवासी को एकत्रित होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अगर संयंत्र निजी हाथों में दिया जाता है तो बैलाडीला का लोहा लाने नही देंगे। चाहे तो रेल्वे की पटरी को उखाड़ कर फेंकगे। स्थानीय भर्ती हमारी मांग है। बस्तर में कोई में नौकरी हो पहले स्थानीय को प्राथमकिता मिलनी चाहिए।

कोया समाज के अश्वनी कांगे ने कहा कि जमीन अधिग्रहण करते समय सरकार ने स्थानीय लोगों नौकरी देने की बात कह कर जमीन ली थी। अब संयंत्र निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है। ऐसे में हमारे भविष्य का क्या होगा। करिया दीवान ने कहा कि हमारी खेती-बाड़ी लेकर उस पर संयंत्र खड़ा कर दिया गया। अब सरकार हमें धोखा देते हुए इसे निजी हाथों में बेच रही है।

ओबीसी समाज से ओमप्रकाश साहू ने कहा कि आदिवासी समाज का कानून बना तो आदिवासी समाज की जमीन कोई नही खरीद सकता। इसी तरह ओबीसी के लिए कानून बनने चाहिए। तरुण धाकड़ ने कहा कि हम जमीन दिए हैं तो हमारा अधिकार होना चाहिए, नौकरी में स्थानीय को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। ललित नरेटी ने कहा कि एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद से बस्तर लाया जाना चाहिए।

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