कोरबा: कोरबा जिल अंतर्गत ग्राम धनरास स्थित एनटीपीसी के राखड़ डैम ने ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर रखा है। एनटीपीसी के द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए धनरास गांव के राखड़ डैम में राख डंप कर रही है। व्यापक इंतजाम तो दूर राख में पानी का छिड़काव तक नहीं हो रहा है। जिससे जहरीला राख उड़कर आसमान में बादल का रूप ले रहे हैं। सर्द मौसम में हल्की हवा चलते ही आस-पास के लगभग दर्जन भर गांव में राख की आंधी में पट जाते है। जिससे यहां के ग्रामीण बेहद परेशान हैं, हालात यह हैं कि ग्रामीण सर्दी के मौसम में आंगन में खाना नहीं बना पाते। उनकी त्वचा में खुजली का प्रकोप है जिससे ग्रामीणों में एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ खासी नाराज़गी देखी जा रही है।
धनरास एनटीपीसी पावर प्लांट के राखड़ डैम में सर्द मौसम में हवा चलने पर आसमान में राख का गुबार दिखाई दिया। पानी का छिड़काव नहीं होने से राख उड़कर आसमान में बादल का आकार ले रही हैं। जिससे आस-पास के लगभग दर्जन भर गांव प्रभावित हैं। सभी स्थानों पर जहरीले राख की बारिश हो रही है। ग्राम धनरास के साथ ही साथ जटांगपुर, छूरीखुर्द, गांगपुर, झोरा, सलोरा, बिशनपुर, बरेड़ीमुड़ा, चोरभट्टी और नवागांव कला जैसे गांव राखड़ डैम से उड़ने वाली राख से परेशान हैं।

2600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली एनटीपीसी की कोरबा परियोजना लगातार उत्पादन से लेकर ईंधन की बचत और अन्य मामलों में रिकार्ड बना रही है। इसी के साथ राखड़ की समस्या के कारण एनटीपीसी का नाम कोरबा और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश में रौशन हो रहा है। कंपनी ने लोतलोता और धनरास में संयंत्र से निकलने वाली राख को संग्रहित करने के लिए फ्लाईएश बांध बनाया है। कई मौकों पर इनका विस्तार भी किया गया और रेजिंग भी बढ़ाई गई है। इन सबके बावजूद अलग-अलग कारणों से पाईप लाइन के जरिये यहां तक आने वाली राख उपरी हिस्से से उड़ते हुए पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने का कारण बनी हुई है।

हालांकि पर्यावरण प्रबंधन के मामले में कंपनी जिस तरह के दावे कर रही है, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। ग्रीन बेल्ट के नाम पर कंपनी आखिर किस तरह से खर्च और मैनेंजमेंट कर रही है, यह लोगों के समझ से परे है। ये बात अलग है कि सामुदायिक विकास के बहाने एनटीपीसी लोगों से करीब होने का प्रदर्शन तो करती है, लेकिन इधर राखड़ से लोगों के स्वास्थ्य पर जो बुरा असर पड़ रहा है। इस समस्या के समाधान की दिशा में प्रबंधन ने अब तक कोई पहल नहीं की है।

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