कोरबा। कभी मयखाने के अवैध चखना दुकानों से बिना कार्रवाई किए लौटकर आ जाने वाला आबकारी अमला, राजस्व विभाग से लेकर नगर निगम का मैदानी अमला अब सत्ता बदलने के साथ उसकी सख्त हवा के रुख में चलने लगा है। रायपुर और बिलासपुर में अवैध चखना दुकानों पर शुरू हई तत्काल कार्रवाई के बाद अब कोरबा जिले के देशी – विदेशी शराब दुकानों के आसपास चलने वाले अवैध चखना दुकानों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है।
इसकी शुरुआत गुरुवार को शहर से लगे आईटीआई रामपुर मार्ग, मुड़ापार, दादर और ग्रामीण क्षेत्र में बहुचर्चित बरपाली की शराब दुकान के पास की चखना दुकान को उजाड़ दिया गया। जेसीबी लगाकर तंबू उखाड़े गए और गुमटी ढहाई गई। अब यह कार्रवाई पूरी तरह से नेस्तनाबूत करने तक जारी रहेगी। इस तरह की कार्रवाई से वे लोग काफी खुश हैं जो इन चखना दुकानों के चलते परेशान थे और बार-बार प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने के बाद भी राहत नहीं मिल पा रही थी।इधर दूसरी ओर सरकार के सख्त तेवर और रवैय्या को भांपकर वे लोग भी सकते में हैं जिन्होंने पिछली सत्ता के संरक्षण में चंद अधिकारियों और मैदानी अमले की शहर पर जहां पाए वहां अतिक्रमण कर लिया है। ऐसेअतिक्रमणकारियों की बाढ़ पिछले आयुक्त के कार्यकाल में कुछ ज्यादा ही आ गई।
तत्कालीन आयुक्त अपनी हर बैठकों में जोन प्रभारियों को सख्त हिदायत देते रहे कि अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जिस भी जोन प्रभारी के क्षेत्र में इसे पाया जाएगा या इसकी शिकायत मिलेगी उस पर कठोर कार्रवाई होगी। दूसरी तरफ उन्हीं के कार्यकाल में वीआईपी रोड से लेकर शहर के भीतर और नगर निगम क्षेत्र में जमकर अतिक्रमण हुए हैं। अतिक्रमण की सर्वाधिक मार कोसाबाड़ी चौक से लेकर सीतामढ़ी तक के वे लोग झेल रहे हैं जो शहर को साफ-सुथरा और अवरोध मुक्त देखना चाहते हैं।घंटाघर चौक से लेकर बुधवारी बायपास,कुआभट्ठा, मुड़ापार मार्ग, इधर पावर हाउस रोड से स्टेशन जाने वाला मार्ग,इमली डुग्गु, गौ माता चौक, ट्रांसपोर्ट नगर जैसे इलाके अतिक्रमण की चपेट में हैं।
श्री राम जानकी मंदिर बुधवारी, आदिवासी शक्तिपीठ के सामने से लेकर रिकाण्डो मार्ग बुधवारी बायपास में तो बेतहाशा ठेले/गुमटियां, तंबू दान दिए गए हैं। मीना बाजार/ सर्कस मैदान के आसपास अतिक्रमण ने सबको चौंकाया लेकिन खुली आंखों से देखकर भी जोन प्रभारी से लेकर आयुक्त ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।नतीजा रहा कि यह पूरा क्षेत्र गैर अनुमति प्राप्त अवैधानिक ठेलों और गुमटियों से भर गया है। सुरक्षित कालोनियां भी अछूती नहीं रह गईं।
अब गुमटियों के सामने बांस गाड़कर दुकान और आगे निकलने लग गई है जबकि यह 24 घंटे कोयला परिवहन में लगे भारी वाहनों के आवागमन का मार्ग भी है और आम जनता भी इसका उपयोग 24 घंटे करती है। इसके अलावा इस सड़क के दोनों और गैरेज के संचालकों ने कबाड़खाना बना रखा है। बनने के लिए आने वाली गाड़ियों के साथ-साथ कबाड़ गाड़ियों को जहां पाए वहां रख दिया गया है जिससे नेहरू नगर कॉलोनी क्षेत्र बदसूरत होने लगा है।
यह मार्ग ऑक्सीजन क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा था, पेड़-पौधों की हरियालियां मौजूद थीं जिन्हें अपने स्वार्थ के लिए लोगों ने पेड़ों को काट- काट कर कब्जा करना शुरू कर दिया। रेलवे, सीएसईबी और नगर निगम तथा राजस्व की जमीन का पल्ला झाड़कर कोई भी अधिकारी यहां कार्रवाई करने नहीं पहुंचा जिससे धड़ाधड़ कब्जा लोगों ने शुरू कर दिया है।
यहां विद्युत सब स्टेशन के आसपास की सरकारी जमीन भी बेहद कब्जे की चपेट में है। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में शहर में किसी सरकारी योजना के लिए जमीन मिलना मुश्किल होगा। कुआं भट्ठा इलाके में आए दिन बेजा कब्जा को लेकर विवाद भी होते रहते हैं।यहां के बेतरतीब और अनियमित विकास को रोकने की जरूरत लोगों ने महसूस की है। इसके अलावा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बिना अनुमति के दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ो को गुमटियां रखी गई जो न सिर्फ आवागमन में परेशानी का सबब बने हुए हैं बल्कि इनमें से कइयों के देर रात तक खुले रहने के कारण रात के वक्त असमाजिक तत्वों, नशेड़ियों का मजमा भी लगता है। नगरवासियों की अपेक्षा है कि अतिक्रमण मुक्त कर नगर को साफ- सुथरा और व्यवस्थित बनाया जाए।