जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां आंख के गलत ऑपरेशन से मरीज की आंख की रोशनी चली गई।आंख खोने वाली पीड़िता ने मामले को लेकर जिला उपभोक्ता गई जहां विवाद प्रतितोषण फोरम ने पक्षकार रजनी जैन के पक्ष में फैसला देते हुए एमपीएम हास्पिटल और नेत्र सर्जन डा सरिता थॉमस पर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना पीड़िता को देने का आदेश दिया है।
दरअसल महारानी अस्पताल में पदस्थ नेत्र चिकित्सक डॉ सरिता थॉमस निजी अस्पताल में भी सेवाएं देती हैं और ज्यादातर सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल बुलाकर वहां उनका इलाज करती हैं । आपको बता दे कि पीड़िता रजनी जैन सरिता थॉमस से आंख का आपरेशन कराया उसके बाद कुछ न दिखने की शिकायत के बाद उनकी बताई दवा का इस्तेमाल करती रहीं ।पर फायदा न होते देख वे विशाखापटनम के एक अस्पताल गईं जहां के सीनियर डॉक्टर ने उन्हें बताया कि गलत आपरेशन और उसके बाद सही इलाज न होने से अब देर हो चुकी है और उनकी आंख हमेशा के लिए खराब हो चुकी है ।अपनी आंख खोने वाली पीड़िता ने मामले को लेकर जिला उपभोक्ता गई जहां विवाद प्रतितोषण फोरम ने पक्षकार रजनी जैन के पक्ष में फैसला देते हुए एमपीएम हास्पिटल और नेत्र सर्जन डा सरिता थॉमस पर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना पीड़िता को देने का आदेश दिया है।
पीड़िता का कहना है कि
6 साल पहले जब उसकी आंख में मोतियाबिंद की शिकायत बताते हुए डा थॉमस ने ऑपरेशन किया, उसके बाद दिखना ही बंद हो गया। जिसकी शिकायत के बाद वे उन्हें ड्राप डालने की हिदायत देती रहीं । पर कोई लाभ न मिलने से विशाखापटनम गई तो सच्चाई सामने आई ।
आनंद विश्वकर्मा पीड़िता के वकीलफोरम ने बताया कि डा सरिता थॉमस और एमपीएम हास्पिटल पर 4-4 लाख रुपए का जुर्माना करने के साथ ही 1-1 लाख रुपए का अर्थदंड किया है। इसके अलावा 25 हजार रुपए मानसिक प्रताड़ना के एवज में पीड़िता को दिए जाने आदेश पारित किया है। देर से ही सही पर इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है।
बस्तर में शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी निजी हास्पिटलों का बोलबाला है। गलत इलाज करने के बाद पीड़ितों को डराने-धमकाने से भी परहेज नहीं कर रहे। इस मामले में भी पीड़िता के पति नरेश जैन को एमपीएम हास्पिटल प्रबंधन ने धमकाने की काफी कोशिश की, लेकिन उन्होंने झुकने की बजाए न्यायालय का रास्ता अपनाने का निर्णय लिया।