बिलासपुर: बिलासपुर इस समय जमीन के खेल के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्धि पा रहा है यहा भोंदू दास तो पकड़ा जाता है लेकिन इस खेल के मास्टर माइंड अभी भी फरार हैं पुलिस भी अब कुछ नही करने की स्थिति में दिख रही हैं? दूसरी तरफ नवल शर्मा जैसे 420 के आरोपी भी जमीन संबधी मामले में पिछले 5 वर्षो से फरार चल रहे हैं और खुले आम घूम रहे उन्हे भी पुलिस का वरदान मिला हुआ हैं?

और न जाने कितने केस है जिसमे जमीन का खेल खेला जा रहा हैं अपराध दर्ज हो रहा है कुछ में कार्यवाही हो रही कुछ में जांच का बहाना चल रहा या हो रही है ये बात तो हुई बिलासपुर में जमीन के खेल को लेकर, अब आते हैं एक दैनिक अखबार में छपी आम सूचना को लेकर जिसमे मुझे ऐसा लग रहा हैं शायद पढ़ने पर आपको भी लगे इसमें आम सूचना कम धमकी की सूचना ज्यादा नजर आ रही हैं क्योंकि ज्यादातर आमसूचना इस लिए दी जाती है कि जिन्हें आपत्ति हो वो संबधित व्यक्ति या उसके वकील के पास आपत्ति दर्ज कराए या उन्हें सूचना दे की उन्हे आपकी इस आमसुचना पर आपत्ति है लेकिन इस आम सूचना में आपत्ति दर्ज कराने की बात तो दूर इसमें लिखा गया है कि जो व्यक्ति या संस्था द्वारा वाद विवाद किए जाने या किसी भी प्रकार से झूठी रिपोर्ट करने व दावा करने पर उन्हें कानूनी कार्यवाही में उलझना पड़ सकता है जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे ।
इस प्रकार की आम सूचना पहली बार देखी जा रही है कि कोई व्यक्ति आपत्ति होने पर सूचना देने की बजाय बोल रहा है कि यदि आपत्ति की तो उसे कानूनी कार्यवाही की उलझनों में उलझना पड़ सकता है इससे ऐसा प्रतीत होता है की दाल में कुछ काला हैं और शासन प्रशासन को इस खसरे से संबधित स्वयं जांच करनी चाहिए आखिर मामला क्या है ।

ग्रामीणों का कहना है कि जिस जमीन में कब्जा किया जा रहा वो शासकीय जमीन हैं:

जिस जमीन में कब्जा किया जा रहा हैं उस जमीन पर अमृत लाल जोबनपुत्रा का कब्जा कभी था ही नही जिसे आज बाउंसरों को खड़ा कर बाउंड्रीवाल किया जा रहा हे ऐसा ग्रामीणों ने बताया कि वह खुली जमीन थी जिसमे ग्राम मोपका के बच्चे खेला करते हैं न तो वहा कभी कोई कांटा तार था न ही कोई व्यक्ति अपनी भूमि का दावा करता था ये शासकीय जमीन है जिसमे बेजा कब्जा किया जा रहा है।

ग्रामीणों की आपत्ति के साथ राजनीतिक व्यक्ति की दखलंददाजी की भूमिका :-

मोपका, चिल्हाटी के सैकडो ग्रामीणों ने बिलासपुर कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री से लेकर उच्चाधिकारियों के पास आपत्ति दर्ज कराई जिसमे लगभग 1200एकड़ भूमि जो शासन की थी जिसमे समय समय पर कब्जा होता गया जिसे छुड़ाने के लिए शासन को ज्ञापन दिया जिसमे इस खसरे की भी आपत्ति दर्ज कराई है इसके अलावा इस प्रकरण में एक सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक व्यक्ति का जिक्र आ रहा है उसका अगले अंक में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

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