रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की माता जसमनी देवी ने जब बेटे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की खबर सुनी तो खुश होकर उन्होंने कहा- मेरे बेटे को छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा का सौभाग्य मिला है, इससे अच्छी बात भला और क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लोगों के दुलार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आशीर्वाद का परिणाम है।
10 दिसंबर को रायपुर में विधायक-दल का नेता चुने जाने के लिए आयोजित बैठक में शामिल होने के लिए श्री साय अपने गृहग्राम बगिया से अपनी मां का आशीर्वाद लेकर रवाना हुए थे। अपनी लंबी राजनीतिक पारी में मिली सभी सफलताओं का श्रेय वे अपनी मां के आशीर्वाद को देते हैं। किसान परिवार से जुड़े श्री साय की राजनीतिक यात्रा बड़ी रोचक और संघर्षपूर्ण रही।
उन्होंने तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश में सन् 1989 में बगिया ग्राम पंचायत के पंच के रूप में अपने राजनीतिक जीवन शुरुआत की। श्री साय सन् 1990 में ग्राम पंचायत बगिया के निर्विरोध सरपंच चुने गए। श्री साय सन् 1990 में ही पहली बार तपकरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। सन् 1999 से रायगढ़ से सांसद बने और इसके बाद लगातार 3 बार और सांसद चुने गए। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र रायगढ़ से सन् 1999 में 13 वीं लोकसभा, 2004 में 14वीं लोकसभा, सन् 2009 में 15 वीं लोकसभा और 2014 में 16वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में उल्लेखनीय कार्य किए। श्री विष्णुदेव साय ने 27 मई 2014 से 2019 तक केन्द्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात, खान, श्रम व रोजगार मंत्रालय का दायित्व संभाला।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का जन्म 21 फरवरी सन् 1964 को छत्तीसगढ़ के जशुपर जिले के फरसाबहार विकासखण्ड के ग्राम बगिया में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय श्री राम प्रसाद साय और माता जसमनी देवी साय हैं। श्री विष्णुदेव साय का विवाह 27 मई 1991 को कौशल्या देवी साय से हुआ। उनके एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। श्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के कुनकुरी से अपनी हायर सेकेण्डरी की शिक्षा पूरी की। उन्हें परिवार के राजनीतिक अनुभव का लाभ मिला। उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय, स्वर्गीय केदारनाथ साय लंबे समय से राजनीति में रहे। स्वर्गीय नरहरि प्रसाद लैलूंगा और बगीचा से विधायक और बाद में सांसद चुने गए। केंद्र में सचार राज्यमंत्री के रूप में भी उन्होंने काम किया। स्वर्गीय केदारनाथ साय तपकरा से विधायक रहे। विष्णुदेव साय के दादा बुधनाथ साय भी सन् 1947-1952 तक विधायक रहे।