कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में दर्जनों गांव के ग्रामीणों ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव करते हुए ताला जड़ दिया। बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू-विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने सहित अन्य मांगों को लेकर ग्रामीणों ने गेट के सामने बैठकर प्रदर्शन किया।

एसईसीएल के आश्वासन से थके भू-विस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। आंदोलन को सफल बनाने की तैयारी को लेकर गांव-गांव में पोस्टर चपकाने, नुक्कड़ सभा के साथ घर घर पर्चे बांटे गए थे। इसका परिणाम रहा कि बड़ी संख्या में लोग आंदोलन में शामिल हुए। महाघेराव को टालने के लिए किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल के साथ एसईसीएल प्रबंधन ने बैठक कर आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था। सदस्यों ने प्रबंधन के आंदोलन स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार आपके पास है ही नहीं तो आपसे क्या बात करें। बिलासपुर के अधिकारियों को भू-विस्थापितों से बात करने के लिए बिलासपुर के एसी दफ्तरों को छोड़कर सडक़ों पर आना ही होगा, तभी आगे की बात होगी यह बोलते हुए किसान सभा के साथ शामिल सभी प्रतिनिमंडल के सदस्य बैठक छोड़कर बाहर आ गए थे।

माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू-विस्थापितों की मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार कुसमुंडा प्रबंधन के पास है ही नहीं तो बैठक का कोई मतलब नहीं है। बिलासपुर के सक्षम अधिकारियों को बैठक में आना चाहिए जो निर्णायक निर्णय ले सकें। आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा। निर्णायक निर्णय एसईसीएल को लेना ही होगा। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने की बजाय और भी बदतर हो गया है। किसान सभा ने कहा कि 25 जुलाई से कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन शुरू कर दिया गया है। आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन पुराने रोजगार प्रकरणों के निराकरण, मुआवजा, बसाहट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। भू-विस्थापितों के आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस और भाजपा की सरकार ने और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। आज भी हजारों भू-विस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।

किसान सभा के नेता जय कौशिक, सुमेंद्र सिंह ठकराल आदि ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके। उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 630 दिन से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। आंदोलन में प्रमुख रूप से मोहन यादव, हरिहर, बृजमोहन, होरी, हेमलाल, जितेंद्र, अनिल, कृष्णा, मानिक, फणींद्र, नरेंद्र, आनंद, विजय के साथ बड़ी संख्या में भू-विस्थापित शामिल रहे।

ये हैं प्रमुख मांगें

  • पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए।
  • जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है और की जा रही है (खोडरी, पाली, जटराज) गांव के सभी छोटे-बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाए।
  • बरपाली, गेवरा के शासकीय भूमि पर काबिजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा प्रदान किया जाए।
  • अधिग्रहित ग्रामों को पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
  • कोल इंडिया की ओर से पूर्व में अधिग्रहित ग्राम खम्हरिया के मूल किसानों को जमीन वापस किया जाए।
  • एसईसीएल में आउटसोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू-विस्थापित परिवार के बेरोजगारों को 100 फीसदी रोजगार में रखा जाए।
  • प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
  • पुनर्वास गांव में काबिज भू-विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए।
  • भैसमाखार, मनगांव, वैशालीनगर समेत पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाए।

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