कोरबा: जिला प्रशासन कोरबा की पहल पर लैंको अमरकंटक पावर प्लांट में भू-विस्थापितों की हड़ताल समाप्त हो गयी है। त्रिपक्षीय वार्ता में हुए विस्तार से चर्चा के उपरांत भू-विस्थापितों ने हड़ताल को वापस लेने का फैसला किया। त्रिपक्षीय वार्ता उपरांत नायब तहसीलदार लखेश्वर सिदार ने भू-विस्थापितों को जूस पिलाकर उनकी हड़ताल को समाप्त कराया। इससे पहले जिला प्रशासन, भू-विस्थापित और लैंको प्रबंधन की त्रिपक्षीय वार्ता में हड़तालियों द्वारा नौकरी की मांग का प्रस्ताव एनसीएलटी को भेजने की सहमति बनी। हड़तालियों द्वारा नौकरी मांग के प्रस्ताव को स्वीकृत कराने एनसीएलटी में भेजा जाएगा।
इसी तरह के प्रकरणों में पूर्व में अन्य भू-विस्थापितों को दिए गए नौकरी की भांति इनको भी नौकरी देने की प्रस्ताव पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के लिए प्रकरण को एनसीएलटी में प्रेषित किया जाएगा। साथ ही एनसीएलटी से नौकरी के प्रस्ताव पर आवश्यक पहल कराने के लिए लैंको प्रबंधन के परियोजना निदेशक को निर्देशित किया गया। त्रिपक्षीय वार्ता में जिला प्रशासन की तरफ से अपर कलेक्टर विजेंद्र पाटले, एसडीएम कोरबा सीमा पात्रे, लैंको प्रबंधन के परियोजना निदेशक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी सहित हड़ताल में शामिल भू-विस्थापित सदस्य मौजूद रहे।
अपर कलेक्टर श्री पाटले ने बताया कि कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित त्रिपक्षीय वार्ता में हड़तालियों की नौकरी की मांग पर विस्तार से चर्चा हुई। हड़तालियों की ओर से कहा गया कि प्रबंधन द्वारा पूर्व में भी एक परिवार के दो-तीन सदस्यों को नौकरी दी गयी है। उन्ही की भांति बाकियो को भी नौकरी दी जाए।
लैंको प्रबंधन की ओर से कहा गया कि विगत 3 वर्षों से कंपनी का मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है। इसीलिए भू-विस्थापितों को नौकरी दिए जाने का अधिकार क्षेत्र एनसीएलटी के पास है। भू-विस्थापितों को वार्ता में कानूनी प्रक्रिया के बारे में बताया गया तथा उनकी नौकरी की मांग प्रस्ताव को न्यायाधिकरण के संज्ञान में लाने के लिए प्रकरण को एनसीएलटी के पास भेजने की बात पर चर्चा हुई। प्रकरण को एनसीएलटी के पास भेजे जाने की बात पर भू-विस्थापितों ने सहमति जताते हुए हड़ताल को समाप्त करने का फैसला लिया।