कोरबा। जिले में एक ऐसा क्षेत्र भी हैं जहाँ आजादी के इतने साल बाद भी विकास नहीं हो पाया हैं। कोरबा मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर की दूर पंचायत केराकछार अंतर्गत पहाड़ी कोरवा जनजाति नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यहाँ न तो बिजली, न पानी, न सड़क और न तो रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास हैं। मूलभूत सुविधाएं भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही।


पहाड़ी कोरवा परिवार ने बताया कि गांव बगधरीडांड, सरहीड, खोरीमौना, ढाबाडांड एवं लालमाटी मोहल्ला में बिजली न होने से रात होते ही अंधेरा छा जाता है। हाथी ,भालू जैसे खतरनाक जंगली जानवर का खतरा बना होता है, कई बार पहाड़ी कोरबा परिवार के लोग जंगली जानवर का शिकार भी हो चुके हैं। समस्या को देखते हुए सरपंच, सचिव एवं जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया। उसके बावजूद भी समस्या का निराकरण नहीं किया गया। दर्जनों पहाड़ी कोरवा परिवार जिला कलेक्टर पहुंच अपने मूल सुविधा की समस्याओं को लेकर शिकायत की पहाड़ी कोरवा परिवार ने की।

उन्होंने कहा की सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिलती है तो हम सब मिलकर चुनाव का बहिष्कार करने को मजबूर रहेंगे। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा जनजाति के उत्थान के नाम पर कई योजनाएं बनती हैं। बदहाल व्यवस्था के साथ नगर पंचायत केराकच्छर के वार्ड 10 के पहाड़ी कोरवाओं के साथ अन्य लोग बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं। कोरवा बस्ती के कई परिवारों को आवास का लाभ भी नहीं मिला। बताया जा रहा हैं की आज तक यहां पहाड़ी कोरवाओं समेत अन्य वर्ग को भी प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत नहीं हुआ है।

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