रायपुर। संरक्षित बैगा जनजाति के एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत का मामला गरमा गया है। पुलिस के अनुसार तीनों की मौत आगजनी में हुई है। वहीं, कांग्रेस मृतकों के परिजनों के हवाले से हत्या बता रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

मुख्यमंत्री साय को लिखे पत्र में बैज ने कहा कि कुकदुर थाना क्षेत्र अंतर्गत में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र, बैगा परिकार के एक ही परिवार के तीन लोगों के मृत्यु संदिग्ध परिस्थियों में हुई है। मृतक के परिजनों का स्पष्ट आरोप है कि पुलिस, प्रशासन द्वारा साक्ष्यों को छुपाकर हत्या को आगजनी से मृत्यु के रूप में बदलने का प्रयास किया जा रही है। घटनास्थन पर खून के छींटा लकड़ी के खंभे, दीवाल पर और जमीन पर भी देखा है।

मृतकों के परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा मृतकों के शव के सभी अंगों को दिखा) बगैर पंचनामा बनाया गया। जानकारी दिए बगैर हा घटनास्थल के बगल वाले खेत में पोस्टमार्टम किया है। बगैर परिजनों को जानकारी दिए आनन-फानन खेत मैं ही पोस्टमार्टम करना संदेश के दायरे में है। मृतक के परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस एवं प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर बैगा परिवार के तय रीति-नीति के विरुद्ध जबरिया दाह संस्कार कराया गया।

परिजनों का यह भी आरोप है कि मृतक बैगा परिवार के घर के बगल में बने कवेलू के खुली झोपड़ी में जली (1) हालत में तीनों शव पड़े थे। शवों के ऊपर झोपड़ी के तीन-तीन फीट के तीन बल्ली जले हुए स्पष्ट रूप से दिख रहा था, परिजनों का सवाल है कि तीन तीन फुट के केवल तीन बल्ली जलने से तीन लोग जिंदा जलकर कैसे मृत हो सकते हैं ? घटनास्थल को देखने से संदेह होता है कि इस घटना के पीछे कोई षडयंत्र है। परजनों के अनुसार पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का कथन था कि शव जल चुका था, पोस्टमार्टम से मृत्यु के कारण का पता पुलिस इन्वेस्टिगेशन या फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चलेगा, पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। एक ही परिवार के तीन सदस्यों की संदेहास्पद मौत को लेकर बैगा समाज ने भी सवाल उठाया है, बैगा जनजाति में दाह संस्कार की परंपरा नहीं है, इसके बावजूद तीनों का दाह संस्कार किया गया।

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