कोरबा। इस बार लाल मैदान का लंकेश संयंत्रों के स्क्रैप से लैस नजर आएगा। विद्युत कंपनी की टीम कबाड़ का जुगाड़ कर दशानन का 110 फीट ऊंचा पुतला तैयार करने में जुटी हुई है। कबाड़ रूपी रावण का अहंकार हारेगा और इसका दहन कर दशमी का विजय उत्सव मनाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अनेक स्थानों पर रावण दहन की परंपरा पिछले अनेक वर्षों से बनी हुई है। इसमें हसदेव ताप विद्युत परियोजना के स्तर पर तैयार होने वाले रावण के पुतले की चर्चा दूर दराज तक होती है। अहंकार, सत्य, अनीति और बुराई के प्रतीक के रूप में दशानन रावण के पुतले हर वर्ष दशहरा पर जलने की परंपरा देश के विभिन्न हिस्सों में बनी हुई है। छोटे और मध्यम आकार के पुतले तैयार करने पर आयोजन समिति हजार रुपए खर्च करती हैं। इसके बिल्कुल उल्टे छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 110 फीट का टेक्निकल रावण का पुतला दशहरा पर जलेगा। सबसे बड़ी बात यह होगी कि इसे बनाने में बहुत कम राशि खर्च होगी क्योंकि कारीगर नहीं बल्कि बिजली कंपनी के लोग इसे तैयार कर रहे हैं। रावण का पुतला चूंकि तकनीकी क्षेत्र में बन रहा है और बनाने वाले भी इस सेक्टर के लोग हैं ऐसे में रावण का पुतला खास तो होगा ही। छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम परियोजना एचटीपीएस लाल मैंदान में इन दिनों रावण के पुतले को तैयार करने का काम बिजली कंपनी के कर्मचारी कर रहे हैं। राम इकबाल सिंह ने बताया कि अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से इस काम को शुरू किया गया था। इस तरह अब 39वें वर्ष में यहां रावण बनाने के साथ उसका दहन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में यह सबसे बड़ा होगा जिसकी ऊंचाई 110 फीट की होगी। रावण के इस पुतले की खासियत यह होगी कि यह पूरी तरीके से टेक्निकल होगा। यह अपने सर को घूमेगा और तलवार को भी। कारीगरों का कहना है कि इतना बड़ा पुतला हम लोग तैयार करते हैं लेकिन इसमें खर्च बहुत ही कम होता है। क्योंकि अधिकांश स्क्रैप कंपनी का होता है और इसे तैयार करने वाले लोग भी हम ही होते हैं। वर्तमान में पुतले का अधिकांश काम पूरा हो चुका है। अब दशहरा तक इस अंजाम पर पहुंचाया जाएगा।

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