कोरबा। हाथियों के व्यस्ततम रूट पर बाड़ी को नुकसान से बचाने के लिए जगह-जगह पर किसान मचान बनाकर पहरेदारी कर रहे हैं। दरअसल मांड नदी से लगे होने की वजह से हाथियों का झुंड तेजी से मूवमेंट करता है।
कोरबा वनमंडल और धर्मजयगढ़ वनमंडल का सीमावर्ती क्षेत्र मांड नदी है। नदी के एक ओर कोरबा वनमंडल और दूसरी तरफ धर्मजयगढ़ वनमंडल की सीमा है। मांड नदी में सालभर पानी रहता है। पानी के बेहतर स्त्रोत की वजह से दोनों ही क्षेत्र के किसान नदी तट से लगे खेतों में सब्जी की फसल सबसे अधिक लगाते हैं। हाथी भी पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक रहते हैं। यही वजह है कि दोनों तरफ के खेत हाथियों की वजह से चौपट होते हैं। सब्जी बाड़ी के अलावा खेतों में लगी फसल को भी नुकसान पहुंचता है। स्थिति ये है कि ग्रामीण अब अपने फसलों को हाथियों से बचाने के लिए जगह-जगह पर मचान बनाकर पहरेदारी कर रहे हैं। जगह-जगह पर ऐसे मचान किसानों द्वारा बनाए गए हैं।

किसानों की चिंता है कि उनकी कड़ी मेहनत पर पानी न फिर जाए। हर साल सब्जी की फसल को हाथी रौंद देते हैं। अब तक बालको, पसरखेत रेंज में वॉच टॉवर बन चुके हैं। लेमरु ऐलीफेंट कॉरीडोर के तहत इनका निर्माण हुआ था। अति व्यस्ततम रूट में इसकी सबसे अधिक जरुरत महसूस की जा रही है। जहां वन विभाग के कर्मी नियमित तौर पर हाथियों पर निगरानी रखे।अभी किसानों को दिन में खेतों में काम करना पड़ रहा है और रात में मचान से निगरानी की मजबूरी है।

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