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कोरबा : कोरबा विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश अंचल आदिवासी बाहुल्य होने के साथ-साथ सघन वनों से आच्छादित भी हैं जहां अभी भी वन्य प्राणी विचरण करते हैं किन्तु पिछले एक लम्बे अर्से से घुसपैठ जमाये हाथीयो के डालो ने यहां अच्छा-खासा आतंक मचा रखा हैं गाहे-बगाहे हाथियों का दल आ धमकता हैं हालांकि अभी तक गजराजों ने कोई चिन्ताजनक जन-धन की हानि नहीं पहुंचाई हैं किन्तु इनके आ धमकने का भय वनांचलों में बुरी तरह से समाया हुआ हैं। सर्वाधिक चिंताजनक हालात पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्रों में बने हुए हैं, अतः इस बात की संभावना बेहद बलवती हो उठी हैं की यदि मतदाताओं की सुरक्षा के युक्तायुक्त प्रबंधन नहीं किये गए तो मतदान का प्रतिशत निश्चीत रूप से प्रभावित होगा। अभी ताजा स्तिथि यह हैं की पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्र के हाथी प्रभावित गांवों में ऐसा खौफ है कि शाम को अंधेरा होने के पहले ही चुनाव प्रचार थम जाता है। मुख्य मार्ग को जोड़ने वाली सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। हाथी कभी भी सड़क पार करते हुए आसपास ही घूमते दिख जाते हैं। कोई भी राजनैतिक दल शाम होने के बाद चुनाव प्रचार में जोखिम नहीं लेना चाहता है। चोटिया से कोरबी पाली के बीच और कोरबी से पसान के बीच में हाथियों का विचरण अधिक हैं। इसके साथ ही नेशनल हाइवे में चोटिया से केंदई के बीच कभी भी हाथी सड़क पर आ जाते हैं।
अभी 29 हाथियों का झुंड कोरबी के आसपास और पसान में 15 हाथियों का झुंड घूम रहा है। हाथियों का झुंड एक दिन में 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करता है। इसकी वजह से यह पता ही नहीं चलता कि कहां, कब हाथी पहुंच जाए। ग्राम कुल्हरिया के ग्रामीण निर्मल सिंह का कहना है कि भीतरी सड़कों में शाम होने के बाद आम आवाजाही बंद हो जाती है।
राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी अंधेरा होने के पहले लौट जाते हैं। रात में अब कोई प्रचार-प्रसार करने नहीं पहुंचता। कोरबी के इंद्रपाल सिंह ने बताया कि पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस के पीछे में ही डूबान क्षेत्र है। ग्राम केंदई और पसान रेंज की सीमा ग्राम पनगवां से लगी हुई है। नदी और नाला पारकर हाथी ग्राम कुरूपारा पहुंच जाते है। ग्राम झिनपुरी से पाली और बूढ़ापारा तक हाथियों की आवाजाही है। धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि यहां के लोगों की दिनचर्या ही बदल गई है। रात के समय कोई भी जंगल वाले मार्ग से जाना नहीं करता। इसका मुख्य कारण रात्रि के समय हाथियों का झुंड अलग-अलग हो जाता हैं। 4 से 5 के झुंड में हाथी अलग-अलग दिशाओं में निकल जाते हैं फिर सुबह आन मिलते हैं। शाम को ही केंदई रेंज में हमले की दो घटनाएं घटित हो चुकी है।
जिले से सटे मैनपाट क्षेत्र में भी घूम रहे दंतैल हाथी, गांवों में अलर्ट जारी
मैंनपाट की ओर से केंदई पहुंचा दंतैल हाथी केंदई रेंज में सरगुजा वनमंडल के मैनपाट से होते हुए दंतैल हाथी पहुंचे हैं। वह को सलिहापहरी के पास घूम रहे थे। वन विभाग ने ग्रामीणों को मुनादी कराकर सतर्क रहने कहा है। दंतैल हाथी गांव के आसपास घुस जाते हैं। इसकी वजह से ही ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों में रहने कहा गया है। जिले के केंदई रेंज में घायल हाथी खेसारीलाल भी अब झुंड में शामिल हो गया हैं। दो बार झुंड में शामिल होने का प्रयास करते समय दूसरे हाथी से उसकी भिड़ंत हो चुकी है। लेकिन तीसरी बार में वह सफल हो गया। अब झुंड में हाथियों की संख्या 30 हो गई है। घायल दंतैल हाथी खेसारीलाल का पैर भी ठीक हो गया है। इससे वन अमले ने राहत की सांस ली है।
केंदई रेंजर अभिषेक दुबे का कहना है कि हाथियों के विचरण जानकारी के आधार पर मुनादी करा ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा हैं। सरगुजा से आए दंतैल हाथी की निगरानी के लिए दल लगाया गया हैं।
धरमजयगढ़ से अब कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में पहुंचा 27 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। अभी वह ग्राम गितकुंवारी करीब हैं। यहां हाथियों का झुंड पहले भी आ चुका है। इसकी वजह से ग्रामीण दहशत में है। हाथियों ने धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है। यह हाथियों का झुंड कुदमुरा के साथ ही करतला रेंज में भी पहुंच जाता है।
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