कोरबा। सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कोरबा प्रवास के दौरान मीडिया से संक्षिप्त चर्चा की। उन्होंने 5 साल तक निष्क्रिय रहने के लगाए जा रहे आरोप पर कहा कि कोई बात नहीं, उनके काम वो करें, मेरे काम मैं करती हूं। मैं कबीर पंथी हूं और मुझे गुस्सा नहीं आता और न मुझे बताने की जरूरत है कि मैंने क्या किया है, जनता सब जानती है। यदि उन्हें कुछ पूछना है तो मुझसे सीधे पूछें, मैं बताउंगी।भाजपा के मीडिया से दूरी के सवाल पर कहा कि मैंने तो मीडिया से कोई दूरी नहीं बनाई है बल्कि हमेशा साथ रही हूं, उनकी वो जानें। कोरबा लोकसभा से चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यह हाईकमान तय करेंगे। जनता के बीच चुनाव में ले जाने वाले मुद्दों और बातों के सवाल पर कहा कि मुद्दे लेकर उठाना नहीं बल्कि काम करना मैं ज्यादा जरूरी समझती हूं। 10 साल से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। वे अब रेडियो और पत्राचार के माध्यम से कह रहे हैं कि अब प्रधानमंत्री ने फिर 5 साल के लिए गारंटी ली है कि 80 करोड़ जनता को फ्री में अनाज देंगे। सांसद ने कहा कि क्या यह गारंटी होती है, जनता को आप फ्री में खाना दे रहे हैं, परंतु रोजगार देने की बात नहीं करते। महंगाई कम करने, गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम को रोकने की बात नहीं करते। सांसद ने कहा कि फ्री खाना देना कोई मुद्दा नहीं है, हम बेरोजगारों को रोजगार देंगे, किसानों को एमएसपी देने की गारंटी देते हैं। राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर भाजपा की आगे पाट पीछे सपाट की टिप्पणी पर सांसद ने कहा कि उनके पास एक ही मुद्दा है कि इनको नीचा दिखाओ और हमारे पास देश की जनता मुद्दा है कि इनका कैसे विकास किया जाए। कोरबा लोकसभा में उन्हें और डॉ. महंत को बाहरी बताने के सवाल पर कहा कि मैं तो डॉ. महंत के परिवार से हूं। महंत जी भी वर्ष 1998 से अविभाजित मध्यप्रदेश के जांजगीर लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, मैं बिसाहूदास महंत परिवार की बहू हूं तो बाहरी का सवाल ही नहीं उठता, मैं मान ही नहीं सकती कि मैं बाहरी हूं क्योंकि मेरा जन्म मध्यप्रदेश में हुआ और मैं तत्कालीन मध्यप्रदेश में ही शादी होकर आई। यहां जितने भी 25 वर्ष के लोग हैं वे सभी मध्यप्रदेश में ही पैदा हुए हैं और रही उनकी बात तो ये बीजेपी वाले और हमारे भाई-बहन सोचें कि हमारे यहां के लोग क्या कम थे।
सांसद ने इस दौरान भू-विस्थापितों के सवाल पर कहा कि एनटीपीसी के 316 दिन से धरना दे रहे भू-विस्थापितों की मुझे जानकारी है और इस विषय में अधिकारियों से बात हुई है। मैं भी चाहती हूं कि जो 25-30 साल से भू-विस्थापित भटक रहे हैं उन्हें न्याय मिलना चाहिए। मैं उनके साथ खड़ी हूं और हमेशा ही मैंने पार्लियामेंट में भी कहा है, कोयला मंत्री से भी कहा है। एनटीपीसी के भू-विस्थापितों द्वारा चुनाव बहिष्कार की बात पर कहा कि वे अपनी जगह ठीक हैं और मैं भी अपनी जगह ठीक हूं। मैं उनके लिए लगातार लड़ रही हूं, उनको चुनाव में भाग लेना चाहिए, अपने संवैधानिक मताधिकार का उपयोग करना चाहिए। सांसद ने कहा कि लगातार 10 वर्षों से केंद्र में सरकार बैठी है और उनके कान में जूं तक नहीं रेंग रही है कि भू-विस्थापितों और मजदूरों पर क्या अत्याचार हो रहा। जैसे ही यहां सरकार बनी, बालको के मजदूरों पर लाठीचार्ज हुआ।