बिलासपुर: बिलासपुर के कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में शेरनी ‘मौसमी’ की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई। इधर, बाघिन ‘रंभा’ ने चार शावकों को जन्म दिया है। जू प्रबंधन ने बाघिन के साथ नन्हें शावकों का फोटो भी जारी किया है, जिसमें चारों शावक स्वस्थ बताए जा रहे हैं। जू में शावकों का जन्म लेना बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि पांच साल तक यहां ब्रीडिंग बंद थी। ऐसे में कानन में एक बार फिर बाघ के नन्हें शावक मेहमान बनकर आए हैं। हालांकि शेरनी की मौत से नए मेहमानों की खुशी कम कर दी है।
अफसरों ने बताया कि जू के बाघिन रंभा ने रविवार देर रात चार बच्चे को जन्म दिया है। उसकी मेटिंग 2018 में जंगल सफारी रायपुर से लाए गए बाघ शिवाजी के साथ कराई गई थी। जिसके बाद वो गर्भधारण की और अब चार स्वस्थ शावकों को रंभा ने जन्म दिया है। अफसरों ने बताया कि मादा बाघिन रंभा का भी जन्म 25 अप्रैल 2015 में कानन पेंडारी में ही हुआ था। उसे चैरी और विजय ने जन्म दिया था। इसके बाद 11 नवंबर 2018 को मादा बाधिन रंभा ने दो शावक भैरव व दुर्गा को जन्म दिया था। कानन के अफसरों का कहना है कि बाघिन रंभा और उसके सभी शावक स्वस्थ्य है। उनकी देखभाल की जा रही है। जू किपरों को सतत निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
कानन में रंभा के साथ 4 वर्ष की एक शेरनी मौसमी भी गर्भ से थी। प्रबंधन ने एक साथ दोनों बाघिन और शेरनी के प्रसव के बाद शावकों के जन्म कराने की योजना बनाई थी। बाघिन रंभा का सफलतापूर्वक प्रसव हो गया। फिर सोमवार को शेरनी मौसमी को प्रसव पीड़ा हुई। पशु चिकित्सक उसकी डिलीवरी कराने के प्रयास में जुटे हुए थे, पर उसका पहला शावक उल्टा हो गया। इसके चलते शावक पूछ की तरफ से बाहर आने पर उसका गला अटक गया और असहनीय दर्द से मौसमी की मौत हो गई। आनन-फानन में शेरनी का सीजिरियन डिलीवरी कराने का प्रयास किया गया। ऑपरेशन के बाद देखा गया कि उसके दो शावक गर्भ में थे, जिनकी मौत हो चुकी थी। प्रबंधन ने शाम को ही कानन परिसर में उसका अंतिम संस्कार किया।