रायपुर: हौसले और मजबूत इरादे तकदीर भी बदल सकते हैं। अपने मजबूत इरादों से दंतेवाड़ा जिले की महिलाओं ने अपने हाथों से बेरोजगारी की लकीर मिटा कर नई इबारत लिखी। यह उनकी मजबूती का परिणाम है, जो मशीन से होने वाली ईटों का निर्माण का काम उन्होंने अपने हाथों में लिया और उसे सफलतापूर्वक पूरा किया। दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय के विकासखण्ड कुआकोण्डा से 25 किमी. की दूरी पर पहाड़ियों और वनो से घिरे खूबसूरत समेली गांव की मोंगरा स्व-सहायता समूह की ये दीदीयां अब तक 6 हजार ईटे बना चुकी हैं।
समूह की महिलाएं अधिक पढ़ी-लिखी न होने के कारण घर गृहस्थी का काम और मजदूरी काम करके अपना गुजारा करती है। मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू हुई गोधन न्याय योजना के तहत गौठान निर्माण से उन्हें आगे बढ़ने की राह मिली। गांव के गौठान में कई प्रकार के आजीविका संबंधित गतिविधियां संचालित की जा रही है, इससे ये महिलाएं जुड़ी। यहां गौठान निर्माण के लिए ईंट बाहर से लाई जा रही थी। यह दीदीयों का हौसला ही है कि ईट बनाने का काम उन्होंने अपने हाथ ले लिया और मात्र एक माह के भीतर बिना किसी मशीन के हस्त निर्मित सांचे से 6 हजार से अधिक ईंटो का निर्माण किया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा सीमेंट के बड़ी ईंटो का निर्माण किया जा रहा है।
समूह की दीदीयों द्वारा 29 सौ ईंटो की बिक्री की जा चुकी है। जिसे दीदीयों ने 23 रूपये प्रति नग की दर से विक्रय कर 66 हजार 700 रुपए की कमाई की है। प्रत्येक ईंट में 12 से 13 रूपये तक की बचत आती है। जिसमें दीदीयों को 37 हजार 700 रूपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है। अपनी मेहनत को सफल होते देख समूह की दीदियों में उत्साह और बढ़ गया है। दीदीयों को वर्तमान में 6 हजार ईंटो का आर्डर 25 रूपये प्रति नग की हिसाब से प्राप्त हुआ है। जिससे इन्हें 90 हजार रूपये शुद्ध लाभ के रूप में प्राप्त होगी।