जगदलपुर: मर्मस्पर्शीय दुर्लभ चरम रोग से पीड़ित बस्तर की दो मासूम बालिकाएं रोज झेल रहीं नया जख्म और पीड़ा ।डॉक्टरों के अनुसार ये बच्चियाँ एपिडर्मोलिसिस बुलोसा ( किंडल्स सिंड्रोम ) नामक बीमारी से हैं ग्रसित । डॉक्टरों के अनुसार 10 लाख लोगों में 20 को ही होती है ये बीमारी ।
बस्तर ब्लाक के चोकर गांव की 9 वर्षीय ममता बघेल और 11 साल की फेमेश्वरी बघेल इस गम्भीर चर्मरोग की असहनीय पीड़ा रोजाना झेलने को विवश हैं । इनके परिजन बताते हैं कि जन्म के 6 माह बाद से ही इन्हें ये बीमारी लग गई थी । इसमें इनके पूरे शरीर में अचानक बड़े बड़े फफोले निकल आते हैं जो फ़ूटकर जख्म बन जाते हैं और रिसने लगते हैं । इसमें लगने वाली हल्की खरोच भी असहनीय दर्द देती है । जिसकी वजह से ये दोनों कपड़े भी नहीं पहन पातीं निकले फफोले वैसे ही होते हैं जैसे आग या गर्म पानी से जली त्वचा के झुलसने के बाद होते हैं ।
अपनी मासूमों को रोज तिल तिल मरता देख रहे गरीब मां बाप । उनके दर्द की तड़पन को अपने आसुंओं से भिगोने के अलावा और कोई चारा भी नहीं इनके पास । न सांत्वना , न ठीक होने की आशा । कुदरत की बेरहमी इन्हीं दोनों के हिस्से आई। जबकि इनका एक 15 साल का भी पुरषोत्तम और एक साल की बहन पल्लवी स रोग से दूर स्वस्थ हैं।
इनके पिता मानसिंह बघेल बताते हैं कि दोनों बच्चियों को महारानी अस्पताल , मेकाज और राजधानी के मेकाहारा भी लेकर गए परन्तु इलाज नहीं हो पाया। अब रोज इनकी मार्मिक गति से उनका भी हाल बेहाल है।
उनका कहना है कि गरीब होने से उन्होंने हर उस चौखट पर दस्तक दी जहां से मदद की उम्मीद बांधी । पर कहीं से कोई सहायता नहीं मिली। अब आखरी आस है तो प्रदेश सरकार से।मेकाज में अपनी सेवाएं दे चुके और भोपाल के चर्मरोग विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक डे के अनुसार यह एक अनुवांशिक बीमारी है जो 10 लाख लोगों में केवल 20 को होती है । इसका कारण दोषपूर्ण जीन होता है ।ये लाइलाज रोग है।त्वचा के साथ ही मुंह के अंदर व गाल के अंदरूनी हिस्सों में भी छाले पड़ने लगते हैं ।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव् के संज्ञान में जब ये मामला मीडिया ने लाया तो उन्होंने कहा कि इनका इलाज अब सरकार कराएगी और इस मामले में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं ।