
मुंगेली: मुंगेली विकासखंड के ग्राम चारभाठा की ज्योति राजपूत ने मेहनत और लगन से अपनी तकदीर बदली है। पारंपरिक कृषि पर निर्भर परिवार की आय सीमित थी, लेकिन ज्योति ने कुछ अलग करने की ठानी। मुर्गीपालन के व्यवसाय को अपनाकर उन्होंने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। आज वे प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपये तक की शुद्ध आमदनी अर्जित कर रही हैं, जिससे वे ‘लखपति दीदी’ के नाम से पहचानी जाने लगी हैं।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
ज्योति राजपूत की सफलता की राह आसान नहीं थी। शुरुआत में वे बिहान समूह से जुड़ीं और ऋण लेकर 50 मुर्गियों से अपना व्यवसाय शुरू किया। शुरुआती दौर में बाजार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब पहली खेप की मुर्गियां बिक गईं, तो उन्होंने बैंक से दोबारा ऋण लिया और 300 मुर्गियों का पालन शुरू किया। पहले यह व्यवसाय अस्थायी शेड में संचालित हुआ, लेकिन आमदनी बढ़ने पर उन्होंने स्थायी संरचना का निर्माण किया। उनके परिवार ने भी इस कार्य में सहयोग दिया, जिससे व्यवसाय को मजबूती मिली।
आर्थिक सशक्तिकरण की ओर कदम
वर्तमान में ज्योति राजपूत 8,000 मुर्गियों के साथ-साथ बत्तख और देशी मुर्गियों का भी पालन कर रही हैं। उन्होंने हेचरी मशीन खरीदी है, जिससे वे प्रतिमाह 20,000 चूजों का विक्रय कर रही हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गई है। मुर्गीपालन से हुई आय का उपयोग ज्योति राजपूत अपने जीवन स्तर को सुधारने में कर रही हैं। उन्होंने पक्के घर के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिला रही हैं। इसके साथ ही वे कृषि विभाग की चिराग योजना के तहत मछली पालन के लिए तालाब खुदवा रही हैं, जिससे उनकी आय के और अधिक स्रोत विकसित हो सकें।
सरकारी योजनाओं से मिली मजबूती
ज्योति राजपूत ने शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके इस सफर में विभागीय अधिकारियों और जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की योजनाओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत
ज्योति राजपूत की सफलता उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि संकल्प मजबूत हो और परिश्रम किया जाए, तो कोई भी आर्थिक रूप से सशक्त हो सकता है। ‘लखपति दीदी’ ज्योति राजपूत न केवल खुद आत्मनिर्भर बनीं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनकी यह सफलता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है।